भोपाल: केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान! ये वो नाम है जो मध्य प्रदेश की राजनीति में कभी ‘पांव-पांव वाले भैया’ के नाम से जाना जाता था। उनकी मौजूदगी ही भीड़ खींचने के लिए काफी होती थी। अब दिल्ली की कुर्सी पर विराजे शिवराज मध्य प्रदेश में अपनी सक्रियता कम होने नहीं देना चाहते। इसी कवायद में वो अपने संसदीय क्षेत्र में ‘विकसित भारत संकल्प यात्रा’ कर रहे हैं। लेकिन, सियासत के जानकारों की मानें तो इस यात्रा के पीछे शिवराज का मकसद सिर्फ अपनी ‘जड़ों’ को सींचना नहीं, बल्कि कुछ और ही है।
परिवार भी साथ-साथ: सियासी कदमताल की नई तस्वीर
इस पदयात्रा में शिवराज अकेले नहीं हैं, बल्कि उनके साथ बीजेपी के स्थानीय नेताओं के अलावा उनका पूरा परिवार कदम से कदम मिला रहा है। पत्नी साधना सिंह चौहान तो हमेशा से उनके साथ दिखती रही हैं, लेकिन इस बार बड़े बेटे कार्तिकेय सिंह चौहान और उनकी पत्नी अमानत बंसल का साथ चलना सियासी गलियारों में नई चर्चा छेड़ गया है। ये दोनों सास-ससुर के साथ चलते दिख रहे हैं। हालांकि, छोटे बेटे कुणाल और उनकी पत्नी इस यात्रा में नहीं दिख रहे हैं, पर उनका सियासत से अभी तक कोई लेना-देना नहीं है।
एमपी में अपनी पकड़ बनाए रखना चाहते हैं शिवराज
दिल्ली दरबार में जाने के बाद शिवराज सिंह चौहान के सामने सबसे बड़ी चुनौती है मध्य प्रदेश में अपने वजूद को कायम रखना। उन्होंने दिल्ली गए कई प्रदेश के नेताओं का ‘हाल’ देखा है। इसीलिए, लाख व्यस्तताओं के बावजूद वो हफ्ते में एक-दो दिन एमपी आना नहीं भूलते। सीहोर और विदिशा शिवराज का गढ़ रहा है। विधानसभा चुनाव वो सीहोर से जीतते आए हैं और लोकसभा विदिशा से। अपनी इस पदयात्रा के जरिए वो न सिर्फ अपने क्षेत्र में अपनी पकड़ मजबूत कर रहे हैं, बल्कि कार्यकर्ताओं से सीधा संवाद भी स्थापित कर रहे हैं। ये ठीक वैसे ही है जैसे ‘मामा’ अपने भांजे-भांजियों से सीधे बात करते हैं।
बेटे कार्तिकेय के सियासी ‘पैर’ जमाने की कोशिश
बुधनी विधानसभा शिवराज सिंह चौहान की पारंपरिक सीट रही है। इस बार बेटे कार्तिकेय सिंह चौहान को उम्मीद थी कि पिता की विरासत उन्हें ही मिलेगी। उम्मीदवारों के पैनल में उनका नाम भी था, लेकिन दिल्ली से मुहर नहीं लगी।
बावजूद इसके, कार्तिकेय ने उम्मीद नहीं छोड़ी है। पिता के दिल्ली जाने के बाद भी वो बुधनी क्षेत्र में लगातार सक्रिय हैं। अब तो स्थानीय कार्यक्रमों में उनकी पत्नी अमानत बंसल भी उनके साथ दिखती हैं और अब, शिवराज सिंह की पदयात्रा में कार्तिकेय और अमानत दोनों का दिखना किसी सियासी रणनीति का हिस्सा तो लगता ही है।
मकसद है साफ: सियासी विरासत को नई पीढ़ी को सौंपने की तैयारी!
सियासी पंडितों की मानें तो यह साफ है कि शिवराज सिंह चौहान इस पदयात्रा के जरिए एमपी की राजनीति में अपनी मजबूत पकड़ बनाए रखना चाहते हैं। दूसरी बड़ी बात यह है कि उनके बाद परिवार से किसी की राजनीतिक लॉन्चिंग नहीं हुई है। बेटे कार्तिकेय लंबे समय से संघर्ष कर रहे हैं, लेकिन उनकी उम्मीद अभी कायम है। ऐसे में, शिवराज सिंह की पूरी कोशिश होगी कि अगले चुनाव में बेटे की दावेदारी मजबूत हो। कहीं यह ‘मामा’ के कंधे पर सवार होकर ‘भांजे’ की सियासी एंट्री की तैयारी तो नहीं? ये सवाल अब मध्य प्रदेश के सियासी गलियारों में तैर रहा है।