- सरकारी स्कूलों में अब प्रायवेट स्कूलों जैसी सुविधाएं
- जबलपुर में 27.84 करोड़ का सांदीपनी विद्यालय बनेगा
- सांदीपनी गुरुकुल की परंपरा पर चलेगा शिक्षा मॉडल
जबलपुर: मध्यप्रदेश के सरकारी स्कूल अब सिर्फ नाम के सरकारी नहीं रहेंगे। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने ऐलान किया है कि अब सांदीपनी विद्यालयों में वही सबकुछ मिलेगा, जो अब तक प्रायवेट स्कूलों की पहचान रहा है—खेलकूद, कल्चर, स्मार्ट एजुकेशन और शानदार इंफ्रास्ट्रक्चर। जबलपुर के बरगी हिल्स में एक ऐसे ही सांदीपनी विद्यालय का भूमि पूजन खुद मुख्यमंत्री ने किया, जिसकी लागत 27.84 करोड़ रुपये है और जो 11 एकड़ में फैलेगा। ये स्कूल एक साथ 1960 बच्चों को पढ़ाने की क्षमता रखेगा।
सांदीपनी गुरुकुल की परंपरा से निकला आइडिया
मुख्यमंत्री ने कहा कि जैसे भगवान श्रीकृष्ण को उज्जैन के सांदीपनी आश्रम में शिक्षा मिली थी, वैसे ही अब हमारे सरकारी स्कूल भी संस्कार और आधुनिकता का संगम बनेंगे। डॉ. यादव ने बताया कि गुरु सांदीपनी ने श्रीकृष्ण जैसे शिष्यों को ज्ञान देने में कभी अपने बेटे की परवाह नहीं की थी। ऐसे आदर्श गुरुओं की परंपरा को अब सांदीपनी विद्यालयों के जरिये आगे बढ़ाया जाएगा।
सरकारी स्कूलों की मेरिट में 70% का दबदबा
डॉ. यादव ने यह भी कहा कि इस साल बोर्ड की मेरिट में 70% बच्चे सरकारी स्कूलों से आए हैं। अब जब सांदीपनी विद्यालयों में प्रायवेट स्कूलों जैसी सुविधाएं मिलेंगी, तो सरकारी स्कूलों का दबदबा और बढ़ेगा। सरकार बच्चों को पढ़ाई के लिए हर जरूरी सुविधा देने को तैयार है।
जबलपुर—दुनिया की सबसे आकर्षक नगरी!
डॉ. यादव ने जबलपुर को ‘दुनिया की सबसे आकर्षक नगरी’ बताया। बोले—यहां की भेड़ाघाट की नर्मदा धारा विश्व प्रसिद्ध है। रानी दुर्गावती की वीरता और सुभाष चंद्र बोस के आजाद हिंद फौज से जुड़ाव जैसे ऐतिहासिक तथ्यों का जिक्र कर उन्होंने जबलपुर की विरासत को गर्व का कारण बताया।
मंत्री बोले—स्कूल नहीं, ये होंगे संस्कृति के केंद्र
लोक निर्माण मंत्री राकेश सिंह ने कहा कि मुख्यमंत्री डॉ. यादव का विजन ही अलग है। उन्होंने स्कूलों से ‘सीएम’ शब्द हटा दिया और ‘सांदीपनी’ जोड़ा—ये सिर्फ नाम का बदलाव नहीं, सोच का बदलाव है। सांदीपनी विद्यालय सिर्फ पढ़ाई नहीं, संस्कार और सांस्कृतिक मूल्यों का भी गढ़ बनेंगे।