* नाबालिग के झूठे आरोप में 4 साल जेल काटी, अब निर्दोष.
* DNA रिपोर्ट ने किया पर्दाफाश, खुल गया ‘राज’ कौन था असली दोषी.
* न्याय की जीत, लेकिन 4 साल की बर्बादी का हिसाब कौन देगा?
एक खबर जिसने सबको चौंका कर रख दिया है. एक ऐसा मामला सामने आया है जहाँ एक शख्स को दुष्कर्म के आरोप में पूरे 4 साल जेल की हवा खानी पड़ी, लेकिन अब अदालत ने उसे निर्दोष करार दे दिया है. ये कोई आम मामला नहीं, बल्कि एक नाबालिग लड़की के झूठ का नतीजा था, जिसने अपनी बदनामी और अपने दोस्त को बचाने के लिए एक निर्दोष पर ऐसा इल्जाम लगाया कि उसकी जिंदगी के 4 साल जेल की सलाखों के पीछे कट गए. और इस पूरे ‘राज’ का पर्दाफाश किया है DNA रिपोर्ट ने. जी हां, विज्ञान ने सच को सामने लाकर खड़ा कर दिया है.
कहानी की शुरुआत: जब ‘झूठ’ ने जकड़ी जिंदगी
बात करीब चार साल पुरानी है. एक नाबालिग लड़की गर्भवती पाई गई. जब उससे पुलिस और परिवार ने सख्ती से पूछताछ की, तो उसने एक आदमी पर बार-बार बलात्कार करने का आरोप लगा दिया. लड़की ने अपनी बात इतनी मजबूती से रखी कि पुलिस और फिर अदालत ने भी उसकी बात पर भरोसा कर लिया. बेचारा वो आदमी, जिस पर इल्जाम लगा, उसे अंदाजा भी नहीं था कि एक मासूम दिखने वाली लड़की का झूठ उसकी जिंदगी में भूचाल ला देगा. उसे गिरफ्तार कर लिया गया और आखिरकार, अदालत ने उसे दोषी मानकर सजा सुना दी.
DNA रिपोर्ट का ‘बम’, लड़की खुद रोने लगी!
लेकिन हर कहानी में एक मोड़ आता है, और इस कहानी का सबसे बड़ा मोड़ तब आया जब DNA रिपोर्ट सामने आई. लड़की ने जिस बच्चे को जन्म दिया था, उसका DNA उस आदमी के DNA से बिल्कुल भी मेल नहीं खाया, जिस पर उसने आरोप लगाया था. ये रिपोर्ट एक ‘बम’ की तरह फटी, जिसने सारे झूठ को पल भर में बेनकाब कर दिया.
अदालत में जब लड़की को ये डीएनए रिपोर्ट दिखाई गई, तो वो फूट-फूटकर रोने लगी. उसके पास कोई और चारा नहीं था, सिवाय सच उगलने के. उसने बताया कि वो आश्रम से निकाले जाने के डर से और अपने असली दोस्त (बच्चे के पिता) को बचाने के लिए ये सब झूठ बोल रही थी. उसने एक ऐसे आदमी का नाम लिया, जिसे वो जानती थी, ताकि किसी को शक न हो और उसका झूठ पकड़ा न जाए. ये सुनकर अदालत में मौजूद हर कोई दंग रह गया.
न्याय की जीत, पर 4 साल की ‘ज़िंदगी’ का क्या?
विशेष न्यायालय ने लड़की के बयान को सिरे से खारिज कर दिया और उसे अविश्वसनीय माना. अदालत ने तुरंत उस निर्दोष व्यक्ति को रिहा करने का आदेश दिया, जिसने अपनी जवानी के 4 साल झूठे आरोप में जेल में बिता दिए थे. बचाव पक्ष के वकील ने बताया कि लड़की ने जानबूझकर एक निर्दोष व्यक्ति को फंसाया था, ताकि वह अपने बच्चे के असली पिता को बचा सके. उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि इस झूठे बयान के कारण उस व्यक्ति को जो 4 साल जेल में बिताने पड़े, उसकी भरपाई कौन करेगा? ये सवाल आज भी खड़ा है. इस पूरे मामले में DNA रिपोर्ट ने निर्णायक भूमिका निभाई, जिसने सच और झूठ के बीच का फर्क साफ कर दिया.
ये मामला दिखाता है कि कैसे एक झूठा आरोप किसी की ज़िंदगी बर्बाद कर सकता है, लेकिन साथ ही ये भी बताता है कि विज्ञान और न्यायपालिका की निष्पक्षता आखिरकार सच को सामने ले आती है. हालांकि, उस व्यक्ति के 4 साल वापस नहीं आ सकते, पर अब वो आज़ाद है।