अहमदाबाद में हुए विमान हादसे ने पूरे देश में खौफ का माहौल बना दिया है और इसका सबसे ज़्यादा असर उन लोगों पर दिख रहा है, जो हवाई अड्डों के पड़ोस में रहते हैं. पटना के जयप्रकाश नारायण अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे (Patna Airport) के आसपास के इलाकों में तो चिंता की लहर ऐसी फैली है कि हर आती-जाती उड़ान अब डर का नया नाम बन गई है. सोचिए, जिस जेट इंजन की गड़गड़ाहट कभी रोज़मर्रा का हिस्सा थी, आज वही शोर रूह कंपाने लगा है. छोटे बच्चों की आंखें, जो कभी प्लेन को आसमान में देख कर चमक उठती थीं, अब खौफ से सिकुड़ रही हैं.
पटना एयरपोर्ट: जानलेवा या सिर्फ़ डर का माहौल?
एक मीडिया रिपोर्ट में बिड़ला कॉलोनी के राजेश्वर सिंह की की तरफ से कही गई बात सुनिए, वो कहते हैं कि स्थानीय लोग अब अपने घर-परिवार की सुरक्षा को लेकर इतने डरे हुए हैं कि हर बार जब कोई विमान ऊपर से गुजरता है, तो वे प्रार्थना करने लगते हैं कि बस ये सुरक्षित निकल जाए. विमानों की कम ऊंचाई पर उड़ानों से होने वाली कंपन, जो कभी एक आम बात थी, अब सीधा दिल पर वार कर रही है. आलम ये है कि कई निवासियों ने तो सोने से पहले नमाज़ (या प्रार्थना) पढ़ना भी शुरू कर दिया है. पटना एयरपोर्ट की छोटी रनवे, जिसके एक तरफ़ पटना चिड़ियाघर और गोल्फ क्लब है, तो दूसरी तरफ़ घनी आबादी वाले इलाके हैं, इस डर को और बढ़ा देते हैं. अलकापुरी के रंजन चौधरी ने बताया कि अहमदाबाद हादसे के बाद से उन्होंने अपने परिवार और दूसरे पड़ोसियों के लिए सोने से पहले हनुमान चालीसा का पाठ शुरू कर दिया है. वो सीधा कहते हैं, “इस एयरपोर्ट को तो कब का शहर के बाहर भेज देना चाहिए था.”
गर्दनीबाग का वो खौफनाक मंज़र, जो आज भी डराता है
साधनापुरी के सरकारी स्कूल के शिक्षक राजेश द्विवेदी तो 2000 में हुए गर्दनीबाग हादसे को याद करके सिहर उठते हैं. उनकी आँखों में वो खौफ आज भी ज़िंदा है, जब उन्होंने दुर्घटना के बाद जलते हुए विमान में फंसे लोगों की चीखें सुनी थीं. वे बताते हैं, “उस हादसे का मुझ पर इतना गहरा असर हुआ कि मैं दस दिनों से ज़्यादा चैन से सो नहीं पाया था. आज वही भयावह यादें एक बार फिर मेरे दिमाग में घूम रही हैं.” बच्चे और बुजुर्ग, ख़ास तौर पर इस डर की चपेट में हैं. 68 वर्षीय सरस्वती देवी की बात सुनकर आप भी सोच में पड़ जाएंगे, वो कहती हैं, “मेरी उम्र में ऐसी घटनाएं बहुत ज़्यादा परेशान करती हैं. मैंने तो ज़रूरी दस्तावेज़ तैयार रखने शुरू कर दिए हैं, ताकि किसी भी स्थिति से निपटा जा सके.”
पहले नहीं सोचा था, अब हर पल चिंता
महुआ बाग के रमेश प्रसाद एक ऐसी बात कहते हैं, जो शायद कई लोगों की कहानी है. वो बताते हैं कि अहमदाबाद हादसे से पहले उन्होंने कभी विमानों की सुरक्षा के बारे में सोचा तक नहीं था. “अब, मैं हमेशा चिंतित रहता हूं,” वो कहते हैं. आपको बता दें कि 17 जुलाई, 2000 को
कोलकाता से पटना आ रहा एलायंस एयर का विमान (फ़्लाइट नंबर CD-7412) पटना के गर्दनीबाग में दुर्घटनाग्रस्त हो गया था. इस हादसे में विमान में सवार 51 यात्रियों और 6 क्रू मेंबर्स सहित कुल 57 लोगों की जान चली गई थी. साथ ही, ज़मीन पर भी कुछ लोगों की मौत हुई थी. अब अहमदाबाद विमान हादसे ने एयरपोर्ट के पास रहने वाले लोगों की रातों की नींद और दिन का चैन छीन लिया है, और उनकी चिंता को और भी ज़्यादा बढ़ा दिया है.