- उर्दू-फारसी शब्दों को टाटा बाय-बाय: पुलिस FIR और दस्तावेज़ों में अब होगी सिर्फ सरल हिंदी.
- गृहमंत्री बोले- जनता को अब सब समझ आएगा: विजय शर्मा का दावा, भाषा सरल होने से बढ़ेगी पारदर्शिता.
- DGP ने सभी जिलों को भेजा फरमान: नई लिस्ट जारी, पुलिस महकमे में बड़े बदलाव की तैयारी.
रायपुर: छत्तीसगढ़ पुलिस ने आम जनता की सहूलियत के लिए एक ऐसा कदम उठाया है, जिसकी चर्चा पूरे देश में हो रही है. अब पुलिस थानों में आपको उर्दू या फारसी के मुश्किल शब्द सुनने को नहीं मिलेंगे! जी हाँ, छत्तीसगढ़ सरकार के गृह विभाग ने पुलिस की कार्यप्रणाली में सुधार का एक बड़ा जिम्मा उठाया है, जिसके तहत अब FIR और दूसरे पुलिसिया दस्तावेज़ों में आम बोलचाल की सरल हिंदी भाषा का इस्तेमाल किया जाएगा.
क्यों आया ये बड़ा बदलाव?
ये सब इसलिए हो रहा है ताकि आम आदमी को पुलिसिया कार्यवाही और दस्तावेज़ों को समझने में कोई दिक्कत न हो. अक्सर आपने देखा होगा कि पुलिस रिपोर्ट में ऐसे-ऐसे शब्द होते हैं, जिनका मतलब जानने के लिए किसी शब्दकोश या वकील की मदद लेनी पड़ती है. इसी परेशानी को दूर करने के लिए छत्तीसगढ़ के पुलिस महानिदेशक (DGP) ने सभी जिलों के पुलिस अधीक्षकों को एक चिट्ठी भेजकर साफ निर्देश दिए हैं कि अब अपराध की शिकायत दर्ज करते समय या अन्य दस्तावेज़ों में भाषा का सरलीकरण किया जाए. मकसद साफ है – जब भाषा सरल होगी, तो लोगों को उसका अर्थ आसानी से समझ आएगा और न्याय तक उनकी पहुँच भी आसान होगी.
‘हुजूर’ गए, ‘श्रीमान’ आए! जानें कौन से शब्द बदले?
गृह विभाग की तरफ से एक लंबी-चौड़ी सूची तैयार की गई है, जिसमें उर्दू और फारसी के उन शब्दों को बदला गया है, जो आम आदमी की समझ से परे थे. अब कुछ ऐसे शब्द बदल दिए गए हैं, जिनके बारे में जानकर आपको भी लगेगा कि “अरे वाह, ये तो बहुत सही हुआ!”
यहां कुछ बानगी देखिए, कैसे बदले गए हैं शब्द:
* ‘हुजूर’ की जगह अब आप ‘श्रीमान’ या ‘महोदय’ सुनेंगे.
* ‘फरियादी’ अब ‘शिकायतकर्ता’ कहलाएगा.
* ‘जमातलाशी’ अब ‘वस्त्रों की तलाशी’ बन गई है.
* ‘इस्तगासा’ का स्थान अब ‘छावा’ लेगा. (हालांकि ये शब्द थोड़ा नया लग सकता है, लेकिन इसका उद्देश्य प्रक्रिया को सरल बनाना है।)
* ‘दफा’ अब ‘धारा’ के नाम से जानी जाएगी.
* और तो और, ‘अदम तामील’ की जगह ‘सूचित’ या ‘नाम होना’ लिखा जाएगा.
* ‘रोजनामचा’ अब हमारी-आपकी ‘सामान्य दैनिकी’ होगी.
* ‘साजिश’ तो पहले से ही प्रचलित है, लेकिन अब ये पूरी तरह से आधिकारिक तौर पर ‘षड्यंत्र’ के रूप में इस्तेमाल होगी.
आप पूरी लिस्ट ऊपर देख सकते हैं, इसमें हर वो शब्द शामिल है जो आम जनता को कंफ्यूज करता था.
गृहमंत्री विजय शर्मा का क्या कहना है?
गृह मंत्री विजय शर्मा ने इस पहल पर खुशी जाहिर करते हुए कहा कि, “शिकायत के लिए आने वाले कई लोगों को लिखे गए शब्द का मतलब ही नहीं समझ आता था. जिसके चलते उनको अपनी बात रखने में दिक्कत आती थी. इस तरह के सुधार के बाद लोगों को अपनी भाषा और लिखी गई बात ज्यादा समझ आएगी.” उनका यह बयान सीधे तौर पर इस बात की तस्दीक करता है कि सरकार जनता को केंद्र में रखकर ही यह महत्वपूर्ण बदलाव कर रही है. यह कदम निश्चित तौर पर पुलिस और जनता के बीच के संवाद को और मजबूत करेगा, जिससे न्याय की प्रक्रिया में पारदर्शिता और गति आएगी.
यह सिर्फ शब्दों का बदलना नहीं, बल्कि एक नई शुरुआत है, जहाँ पुलिस जनता की दोस्त बनकर सरल भाषा में उनसे जुड़ सकेगी. छत्तीसगढ़ सरकार का यह फैसला वाकई काबिले-तारीफ है, जो पुलिसिंग को और अधिक समावेशी और जन-केंद्रित बनाएगा. 👏