- सुप्रीम कोर्ट ने मुंबई की इस्कॉन सोसाइटी का दावा किया खारिज
- बेंगलुरु की इस्कॉन संस्था को मंदिर पर मिला पूरा अधिकार
- कर्नाटक हाई कोर्ट का फैसला पलटा, 13 साल बाद आया अंतिम फैसला
नेशनल: सालों से खिंची कानूनी लड़ाई को सुप्रीम कोर्ट ने खत्म कर दिया। अब बेंगलुरु के हरे कृष्ण हिल्स स्थित इस्कॉन मंदिर पर बेंगलुरु की इस्कॉन सोसाइटी का ही पूरा हक है। कोर्ट ने मुंबई वाली इस्कॉन सोसाइटी का दावा खारिज कर दिया और साफ कहा कि बेंगलुरु की सोसाइटी ही असली मालिक है।
क्या था पूरा झगड़ा?
बेंगलुरु की इस्कॉन सोसाइटी ने मंदिर की मिल्कियत और प्रशासन पर अपना अधिकार बताया था। वहीं मुंबई की सोसाइटी का दावा था कि बेंगलुरु वाला केंद्र उसके ही अधीन है। बात कोर्ट-कचहरी तक पहुंची।बेंगलुरु की सोसाइटी जुलाई 1978 से कर्नाटक समाज पंजीकरण अधिनियम के तहत रजिस्टर्ड है। उसने मांग की थी कि मुंबई की संस्था का इस मंदिर में कोई दखल न हो।
हाईकोर्ट ने पलटा था स्थानीय अदालत का फैसला
पहले तो बेंगलुरु की एक स्थानीय अदालत ने बेंगलुरु की सोसाइटी के हक में फैसला दिया था। लेकिन 2011 में कर्नाटक हाई कोर्ट ने इस फैसले को उलट दिया और मंदिर की मिल्कियत मुंबई की संस्था को दे दी।इस फैसले को इस्कॉन बेंगलुरु ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी।
अब सुप्रीम कोर्ट ने दिया अंतिम आदेश
जस्टिस अभय एस. ओका और ए.जी. मसीह की पीठ ने हाई कोर्ट के फैसले को रद्द कर दिया। कोर्ट ने साफ कहा कि मंदिर की संपत्ति और उसका पूरा प्रशासन बेंगलुरु की इस्कॉन सोसाइटी के पास रहेगा, जो एक स्वतंत्र और वैध संस्था है। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी माना कि मुंबई की सोसाइटी को इस मंदिर के कामकाज, पदाधिकारियों या संपत्ति से कोई लेना-देना नहीं है।
13 साल बाद खत्म हुआ विवाद
2 जून 2011 को इस्कॉन बेंगलुरु की ओर से सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी। इस याचिका में 23 मई 2011 के कर्नाटक हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती दी गई थी। अब करीब 13 साल बाद सुप्रीम कोर्ट ने आखिरी फैसला दे दिया है।
मुंबई का दावा टूटा, बेंगलुरु का भरोसा जीता
मुंबई की संस्था का यह कहना था कि बेंगलुरु ने कभी स्वतंत्र इकाई की तरह काम नहीं किया। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने माना कि बेंगलुरु की सोसाइटी पूरी तरह से वैध संस्था है और मंदिर की असली मालिक वही है।
अब इस्कॉन बेंगलुरु अपने मंदिर के प्रशासन और संपत्तियों पर स्वतंत्र रूप से अधिकार रखेगी और मुंबई की संस्था कोई दखल नहीं दे सकेगी।