- शहीद पुलिसकर्मियों के परिजनों को अब मनचाहे ज़िले में मिलेगी नौकरी!
- गरीब आदिवासी छात्रों को भी अब मिलेगी SC/ST वाली छात्रवृत्ति.
- ‘जशप्योर’ ब्रांड को सरकार का सहारा, स्थानीय उत्पादों को मिलेगी नई उड़ान.
छत्तीसगढ़ की साय सरकार ने एक बार फिर जनता का दिल जीत लिया है. बुधवार को रायपुर में हुई कैबिनेट बैठक में मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने कई बड़े और महत्वपूर्ण फैसले लिए, जिनमें सबसे अहम फैसला था नक्सली हिंसा में शहीद हुए पुलिसकर्मियों के परिजनों को लेकर. अब उनके परिवार के किसी भी सदस्य (चाहे पुरुष हो या महिला) को अपनी पसंद के ज़िले या संभाग में पुलिस विभाग के अलावा किसी भी दूसरे सरकारी विभाग में अनुकंपा नियुक्ति मिल सकेगी. ये सीधे-सीधे उन वीर सपूतों के बलिदान को सच्ची श्रद्धांजलि है, जिन्होंने हमारी सुरक्षा के लिए अपनी जान न्योछावर कर दी. 🇮🇳
पुराना नियम और नया बदलाव: क्या था, क्या हो गया?
जरा याद कीजिए, पहले अनुकंपा नियुक्ति का नियम क्या था? शहीद या दिवंगत सरकारी कर्मचारी जिस विभाग में काम करता था, उसी में नौकरी देने की कोशिश की जाती थी. लेकिन अब, इस पुराने नियम 13 (3) को बदल दिया गया है, जो ‘एकीकृत पुनरीक्षित निर्देश-2013’ का हिस्सा था. ये बदलाव उस घटना के बाद आया है, जब 9 जून को सुकमा के कोंटा संभाग में एडिशनल एसपी आकाश राव गिरेपुंजे नक्सलियों के आईईडी धमाके में शहीद हो गए थे. सरकार का ये कदम दिखाता है कि वो अपने जवानों के परिवारों के प्रति कितनी संवेदनशील है. अब उनके परिजनों को अपनी सुविधा और पसंद के हिसाब से नौकरी मिल पाएगी, जिससे उनका भविष्य सुरक्षित हो सकेगा.
अनुसूचित जाति और जनजाति के छात्रों के लिए ‘खुशियों की सौगात’
सिर्फ पुलिसकर्मियों के परिजनों को ही नहीं, बल्कि सरकार ने छत्तीसगढ़ के गरीब और वंचित समुदाय के छात्रों के लिए भी बड़ा ऐलान किया है. ‘डिहारी कोरवा’, ‘बघेल क्षत्रिय’, ‘संसारी उरांव’, ‘पबिया’, ‘पविया’ और ‘पविआ’ जैसे समुदायों के छात्रों को अब अनुसूचित जनजातियों के बराबर छात्रवृत्ति और वजीफा मिलेगा. वहीं, ‘डोमरा’ जाति के छात्रों को अनुसूचित जाति के समान सुविधाएं मिलेंगी. ये छात्र अब तक तकनीकी कारणों से इन सुविधाओं से वंचित थे, लेकिन अब उन्हें स्वीकृत सीटों के आधार पर हॉस्टल और आवासीय विद्यालयों में भी एडमिशन मिलेगा. ये फैसला इन समुदायों के बच्चों के लिए शिक्षा का द्वार खोलेगा और उन्हें मुख्यधारा में आने का मौका देगा. 📚
खनन और ऊर्जा सेक्टर में भी ‘नई पहल’
कैबिनेट ने छत्तीसगढ़ में लघु खनिजों की खोज और विकास के लिए ‘राज्य खनिज अन्वेषण ट्रस्ट’ (SMET) बनाने को भी हरी झंडी दिखा दी है. इससे राज्य में खनन गतिविधियों को बढ़ावा मिलेगा और रोज़गार के नए अवसर पैदा होंगे. इसके अलावा, अक्षय ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए ‘प्रधानमंत्री सूर्यघर मुफ्त बिजली योजना’ के तहत उपभोक्ताओं को सोलर रूफटॉप संयंत्र लगाने पर केंद्र के साथ-साथ राज्य सरकार भी अतिरिक्त वित्तीय सहायता देगी. ये पर्यावरण के लिए भी अच्छा है और बिजली
उपभोक्ताओं की जेब पर भी भारी नहीं पड़ेगा.
‘जशप्योर’ ब्रांड को ‘सरकारी पंख’: लोकल बनेगा ग्लोबल!
मुख्यमंत्री के गृह ज़िले जशपुर से जुड़ा ‘जशप्योर’ ब्रांड भी अब सरकार के हाथों में होगा. इस ब्रांड के तहत महिला स्व-सहायता समूह हर्बल और महुआ चाय जैसे पारंपरिक उत्पाद बनाते हैं. अब इस ब्रांड को राज्य सरकार या छत्तीसगढ़ राज्य औद्योगिक विकास निगम (CSIDC) को ट्रांसफर कर दिया जाएगा, जिससे इन उत्पादों को बड़ा बाज़ार मिलेगा और उनकी मार्केटिंग को बढ़ावा मिलेगा. ये कदम कृषि और खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों को बढ़ावा देगा, स्थानीय कच्चे माल की मांग बढ़ाएगा और आदिवासी महिलाओं को रोज़गार के ज़्यादा अवसर देगा. यानी, अब ‘जशप्योर’ सिर्फ जशपुर तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि पूरीदुनिया में अपनी खुशबू बिखेरेगा. 🌍