भोपाल: बुधवार की सुबह थी। टीवी चैनलों पर भारतीय सेना की ब्रीफिंग चल रही थी। तभी एक आवाज आई—”सुप्रभात, देवियो और सज्जनों…”।जैसे ही ये शब्द बोले गए ऐसा लगा मानो पाकिस्तान के ज़ख्मों पर नमक नहीं, पूरा नींबू निचोड़ा गया हो। यह कोई मामूली ‘गुड मॉर्निंग’ नहीं था, ये थी भारत की उस बेटी की हुंकार, जिसने हथियार तो थामे ही थे, अपने शब्दों से भी दुश्मन को तोड़ डाला।
बुंदेलखंड की बेटी, फौजियों की तीसरी पीढ़ी
जिसने ये तमाचा मारा, उसका नाम है—कर्नल सोफिया कुरैशी। जन्म हुआ पुणे में, लेकिन जड़ें जुड़ी हैं मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले के नौगांव से जी हां पिता कर्नल ताज मोहम्मद कुरैशी और दादा दोनों ही सेना में थे। मतलब, यह है देशभक्ति का खानदानी DNA। सोफिया भी उसी परंपरा की तीसरी पीढ़ी हैं, जिन्होंने वर्दी को इज्जत नहीं, इबादत माना।
नौगांव की गलियों से ब्रीफिंग रूम तक का सफर
रिपोर्ट्स के अनुसार सोफिया ने पहली से तीसरी क्लास तक पढ़ाई की नौगांव के GDC स्कूल में। उनके ममेरे भाई बंटी सुलेमान आज भी उसी घर में रहते हैं। बंटी कहते हैं—
“जिसे कभी स्कूल पीठ पर बैठाकर ले जाया करता था, आज वो बहन फौज में दुश्मनों को जवाब दे रही है। सीना गर्व से चौड़ा हो गया है।”
‘सुप्रभात’ सिर्फ एक शब्द नहीं, था जंग का ऐलान
सेना की प्रेस कॉन्फ्रेंस में विंग कमांडर व्योमिका सिंह के साथ जब कर्नल सोफिया खड़ी थीं तो उनकी मौजूदगी ने ही दुश्मनों की रीढ़ हिला दी। उनकी आवाज़ में गरिमा थी, लहजे में आत्मविश्वास और हर शब्द में यह ये संदेश था कि अब भारत चुप नहीं बैठेगा।
सोफिया: नाम में ही है समझ, साहस और संयम
‘सोफिया’ नाम ग्रीक भाषा से आया है, मतलब—बुद्धिमत्ता।
और ऑपरेशन सिंदूर की ब्रीफिंग में उन्होंने यही साबित भी कर दिया। कैसे एक समझदार, साहसी और सलीकेदार भारतीय महिला दुश्मनों को जवाब देती है,
बिना चीखे, बिना गुस्साए, सिर्फ गरिमा से।
MP का नाम फिर रोशन किया, बेटियों का हौसला बढ़ाया
भोपाल से लेकर बुंदेलखंड तक और नौगांव से लेकर दिल्ली तक, हर कोई कह रहा था—ये हमारी बेटी है!
सोफिया ने सिर्फ प्रेस कॉन्फ्रेंस नहीं की,
बल्कि ये दिखा दिया कि जब बात देश की हो,
तो बेटियां भी बारूद बन जाती
हैं—चुपचाप, लेकिन सटीक।