ऋषभ तिवारी(विवान)/भोपाल: पाकिस्तान में जल संकट अब गहराता जा रहा है. खासकर रावलपिंडी और इस्लामाबाद जैसे बड़े शहरों में पानी को लेकर हाहाकार मच चुका है. खानपुर डैम, जो इन शहरों की बड़ी जल आपूर्ति का स्रोत है, अब लगभग सूखने की कगार पर है. डैम में मौजूद पानी सिर्फ 35 दिन तक की जरूरतें ही पूरी कर पाएगा. अगर बारिश नहीं हुई, तो हालात और भी बुरे हो सकते हैं.
10-15 दिन में बारिश नहीं हुई, तो बिगड़ेगा खेल
रिपोर्ट्स ये बताती है कि अगर अगले 10 से 15 दिनों में बारिश नहीं हुई, तो डैम का जलस्तर और नीचे जा सकता है. अभी पानी 1,935 फीट पर है, जबकि डेड लेवल 1,910 फीट है. यानी अब बस 25 फीट की दूरी बाकी है. पानी की सतह नीचे जाते ही चट्टानें और मिट्टी के टीले दिखने लगे हैं. हालात इतने गंभीर हो गए हैं कि डैम के आसपास के झरने भी सूख गए हैं।
हर दिन की गिनती शुरू – कब खत्म होगा पानी?
अभी कैपिटल डेवलपमेंट अथॉरिटी (CDA) को रोजाना 90 क्यूसेक पानी दिया जा रहा है. वहीं यूनिवर्सिटी ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी (UET) तक्षशिला और कुछ छोटे इलाके 6.18 क्यूसेक पानी में काम चला रहे हैं. लेकिन अगर बारिश नहीं हुई, तो इन इलाकों में बूंद-बूंद को तरसने की नौबत आ सकती है.
WASA ने बना ली राशनिंग की प्लानिंग
जल संकट को देखते हुए पाकिस्तान की वॉटर एंड सैनीटेशन एजेंसी (WASA) ने भी कमर कस ली है. मई के दूसरे हफ्ते से पानी की राशनिंग यानी कटौती शुरू की जा सकती है. ये राशनिंग सीधे जनता की नल की धार पर असर डालेगी. पानी की लाइनें छोटी होंगी और भरने का वक्त भी घटेगा.
मोदी बोले – अब भारत का पानी भारत के हक में रहेगा
भारत की ओर से सिंधु जल समझौते को सस्पेंड करने का असर अब पाकिस्तान की सड़कों पर दिखने लगा है. 6 मई को एक मीडिया चैनल पर पीएम मोदी ने कहा – “पहले भारत के हक का पानी भी बाहर जा रहा था. अब भारत का पानी, भारत में रहेगा. और भारत के ही काम आएगा.” यानी अब पाकिस्तान को भारत की मेहरबानी से मिलने वाला पानी भी मुश्किल में पड़ सकता है।
खानपुर डैम – सूखती उम्मीदों का पता
ये डैम इस्लामाबाद से करीब 40 किलोमीटर और हरिपुर से 15 किलोमीटर की दूरी पर है. ये वही डैम है, जिससे कभी पूरे रावलपिंडी और इस्लामाबाद की प्यास बुझती थी. अब उसी डैम में पानी की परतें खिसकती जा रही हैं।
फिलहाल सबकी नजरें मौसम पर
अब सबकी नजरें आसमान की ओर हैं. बारिश होगी तो राहत मिलेगी, नहीं तो पाकिस्तान की राजधानी भी पानी के लिए तरस सकती है. और जब राजधानी ही प्यासी हो, तो बाकी शहरों का क्या होगा – इसका अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं है।