छत्तीसगढ़ में बीजेपी सरकार ने जैसे ही ‘सुशासन तिहार’ शुरू किया, उम्मीद थी कि लोग वाहवाही करेंगे, लेकिन हुआ उल्टा। लोगों ने दिल खोलकर फरियादें रख दीं। एक रिपोर्ज के अनुसार सरकार के इस अभियान में अब तक कुल 40 लाख 98 हजार 94 आवेदन आए हैं। इनमें से 25 लाख 74 हजार आवेदन अकेले पंचायत और ग्रामीण विकास विभाग से जुड़े हैं, यानी सबसे बड़ी परेशानी गांवों में है।
पंचायत और गांव की हालत सबसे खराब
सरकार ने गांव-गांव विकास पहुंचाने की बात कही थी, लेकिन सुशासन तिहार में जो आंकड़े सामने आए हैं, वो बताते हैं कि असल समस्या वहीं जमी है। पंचायतों से जुड़ी सबसे ज्यादा शिकायतें आई हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में ना तो ढंग से आवास मिले, ना गैस चूल्हा, ना आपदा में राहत।
पीएम आवास और उज्ज्वला को लेकर मची है होड़
सबसे ज्यादा मांग अगर किसी योजना की आई है, तो वो है प्रधानमंत्री आवास योजना। कुल 9 लाख 59 हजार 879 आवेदन केवल इसी योजना से जुड़े हैं। उसके बाद नंबर आता है उज्ज्वला योजना का, जिसके लिए कुल 1 लाख 47 हजार 905 आवेदन आए हैं। साफ है कि लोग अब भी बुनियादी सुविधाओं के लिए भटक रहे हैं।
कई विभागों की हालत पतली, शिकायतों की लाइन
पंचायत और ग्रामीण विकास: 25.74 लाख
राजस्व और आपदा प्रबंधन: 3.77 लाख
नागरिक आपूर्ति विभाग: 2.19 लाख
महिला बाल विकास: 1.58 लाख
नगरी प्रशासन: 1.42 लाख
ऊर्जा विभाग: 1.14 लाख
लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण: 1.03 लाख
इन आंकड़ों से साफ है कि ग्रामीण व्यवस्था लगभग बिगड़ी हुई है।
सरकार का दावा- 3rd फेज में निपट जाएंगे बचे मामले
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय का दावा है कि ज्यादातर आवेदन निपटा दिए गए हैं, और बाकी तीसरे चरण में खत्म कर दिए जाएंगे। लेकिन अब भी प्रधानमंत्री आवास और उज्ज्वला योजना की मांग सबसे ज्यादा बनी हुई है।
विपक्ष का वार- सुशासन तिहार नहीं, प्रचार तिहार है!
पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि जब राजधानी में तीन दिन बिजली गायब रही, तो गांवों का क्या हाल होगा? सीएम खुद ऊर्जा मंत्री हैं, फिर भी बिजली का ये हाल है। बृजमोहन अग्रवाल के लेटर बम को लेकर भी बघेल ने तंज कसा- जब अपनों को भरोसा नहीं, तो जनता क्या करे।
जनता घूम रही दफ्तर-दफ्तर, हल अब भी अधूरा
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष दीपक बैज ने कहा कि मुख्यमंत्री जनदर्शन में आए 75 हजार आवेदन अब तक पेंडिंग हैं। अब तीसरे चरण का ढोल क्यों पीटा जा रहा है? जनता की समस्याएं जस की तस बनी हैं और जनता अभी भी सरकारी दफ्तरों के चक्कर काट रही है।