धमतरी,CG: क्या आप सोच सकते हैं कि कोई गांव सारे त्योहार एक हफ्ते पहले क्यों मनाता है? छत्तीसगढ़ के धमतरी जिले के सेमरा गांव में यही अनोखी परंपरा सदियों से चली आ रही है। यहां होली, दिवाली समेत चार बड़े त्योहार पूरे देश से सात दिन पहले ही मना लिए जाते हैं। आइए, जानते हैं इस रहस्यमयी परंपरा के पीछे की कहानी।
सपने में आए ‘सिदार देव’ और परंपरा की शुरुआत:
गांव के बुजुर्ग घनश्याम देवांगन बताते हैं कि कई पीढ़ी पहले गांव के मुखिया को सपने में ‘सिदार देव’ नाम के देवता प्रकट हुए। उन्होंने आदेश दिया कि गांववाले सभी त्योहार सात दिन पहले मनाएं। इसके बदले उन्होंने गांव को धन-धान्य से भरपूर करने का वचन दिया। इस सपने के बाद से ही गांव में त्योहारों को पहले मनाने की परंपरा शुरू हो गई।
परंपरा तोड़ने पर आई विपदा:
गांववालों का विश्वास और मजबूत तब हुआ जब दो पीढ़ी पहले एक परिवार ने इस परंपरा को तोड़ा। उन्होंने त्योहार को निर्धारित समय पर मनाने का निर्णय लिया। लेकिन अचानक उनके घर में आग लग गई, जिससे उन्हें भारी नुकसान हुआ। इस घटना के बाद से गांव के लोग परंपरा को लेकर और सतर्क हो गए।
नए सरपंच की राय:
गांव के नए सरपंच छबि सिन्हा कहते हैं, “हमारे लोग इस परंपरा को निभाने से डरते हैं। हमें विश्वास है कि अगर हमने इसे तोड़ा तो गांव में अनहोनी हो सकती है। यही वजह है कि हमारा गांव देश-विदेश में प्रसिद्ध है।”
गांव की जनसंख्या और संरचना:
सेमरा गांव की जनसंख्या लगभग 1,500 है। यहां के मकान पारंपरिक शैली में बने हैं, जिनमें मिट्टी और लकड़ी का उपयोग होता है। गांव की गलियां साफ-सुथरी हैं और हर घर के आंगन में तुलसी का पौधा लगा है। गांव के बीचों-बीच ‘सिदार देव’ का मंदिर स्थित है, जहां लोग नियमित पूजा-अर्चना करते हैं।
त्योहारों की रौनक:
त्योहारों के दौरान गांव की रौनक देखते ही बनती है। होली के समय लोग सात दिन पहले ही रंग-गुलाल से खेलते हैं। दिवाली पर घरों में दीप जलाए जाते हैं और विशेष पकवान बनाए जाते हैं। इस अनोखी परंपरा के कारण आसपास के गांवों के लोग भी सेमरा की ओर आकर्षित होते हैं।
आस्था या अंधविश्वास?
अब सवाल उठता है कि यह परंपरा आस्था है या अंधविश्वास? गांववालों के लिए यह उनकी श्रद्धा और विश्वास का प्रतीक है। लेकिन बाहरी लोग इसे अंधविश्वास मान सकते हैं। यह सोचने का विषय है कि परंपराएं और मान्यताएं कैसे समाज को प्रभावित करती हैं।
सेमरा गांव की यह अनोखी परंपरा हमें बताती है कि आस्था और परंपरा का समाज पर कितना गहरा प्रभाव होता है। चाहे इसे आस्था कहें या अंधविश्वास, यह गांव आज भी अपनी परंपराओं को जीवित रखे हुए है, जो उसकी पहचान बन चुकी है।