भोपाल शहर में वैसे तो कई मंदिर हैं, लेकिन एक मंदिर ऐसा भी है जो अपने नाम से ही लोगों के बीच खास बन गया। नाम है— ‘कर्फ्यू वाली माता मंदिर’। सुनने में अजीब लगता है, लेकिन इस नाम के पीछे की कहानी भी उतनी ही दिलचस्प है। यह मंदिर भोपाल के भवानी चौक, सोमवारा इलाके में स्थित है और आज यह आस्था का बड़ा केंद्र बन चुका है।
आस्था का केंद्र, जहां मन्नतें पूरी होती हैं
भोपाल के पीरगेट इलाके में स्थित यह मंदिर सालभर भक्तों से भरा रहता है, लेकिन नवरात्र के समय यहां श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ता है। खास बात यह है कि यहां नारियल पर अर्जी लिखकर लगाने की परंपरा है। मान्यता है कि इससे माता जल्द ही मन्नत पूरी करती हैं। भोपाल ही नहीं, आसपास के जिलों से भी भक्त यहां दर्शन के लिए आते हैं।
कैसे पड़ा ‘कर्फ्यू वाली माता’ नाम?
अब असली कहानी पर आते हैं! बात 1982 की है। अश्विन नवरात्रि के दौरान यहां झांकी रखी जाती थी, लेकिन जब झांकी के सामने माता की स्थायी प्रतिमा स्थापित करने की बात उठी, तो विवाद खड़ा हो गया। मामला इतना बढ़ गया कि प्रशासन को पूरे इलाके में कर्फ्यू लगाना पड़ा। एक महीने तक यहां सन्नाटा पसरा रहा, फिर जब स्थिति सामान्य हुई तो माता की प्रतिमा स्थापित की गई और मंदिर का निर्माण हुआ। तभी से लोग इसे ‘कर्फ्यू वाली माता’ कहने लगे और आज यह नाम पूरे भोपाल में मशहूर है।
मंदिर की भव्यता-चांदी, सोना और स्वर्ण कलश
यह मंदिर सिर्फ अपनी कहानी के लिए नहीं, बल्कि अपनी भव्यता के लिए भी मशहूर है। मंदिर में शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती की देखरेख में श्रीयंत्र की स्थापना की गई थी, जो चांदी का बना है और उस पर सोने की परत चढ़ी हुई है। मंदिर में 130 किलो चांदी से बना गेट, 21 किलो चांदी का सिंहासन और 18 किलो चांदी की छोटी प्रतिमा स्थापित है। इसके अलावा, आधा किलो सोने का वर्क भी दरवाजों और दीवारों पर किया गया है। मंदिर का स्वर्ण कलश इसकी भव्यता को और बढ़ा देता है।
भोपाल की पहचान बन चुका है यह मंदिर
समय के साथ यह मंदिर सिर्फ एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि भोपाल की ऐतिहासिक धरोहर बन चुका है। हर साल हजारों श्रद्धालु यहां दर्शन के लिए आते हैं। माता की महिमा और कर्फ्यू वाली कहानी आज भी श्रद्धालुओं के बीच उत्सुकता बनाए रखती है। अगर आप भोपाल जाएं, तो इस अनोखे मंदिर में एक बार जरूर दर्शन करें— हो सकता है माता आपकी भी कोई मन्नत पूरी कर दें