बिलासपुर से करीब 25 किलोमीटर दूर रतनपुर में माता महामाया का प्रसिद्ध मंदिर है। धार्मिक मान्यता है कि यहां माता सती का दाहिना कंधा गिरा था, जिसके कारण यह जगह शक्तिपीठ बनी। हर साल लाखों भक्त यहां माता के दर्शन करने आते हैं और अपनी मनोकामनाएं पूरी होने की प्रार्थना करते हैं।
महामाया मंदिर का इतिहास और महत्व:
यह मंदिर प्राचीन और ऐतिहासिक है। इसकी बनावट नागर शैली में की गई है, और इसका मंडप 16 स्तंभों पर टिका हुआ है। मंदिर के गर्भगृह में मां महामाया की करीब साढ़े तीन फीट ऊंची प्रतिमा स्थापित है। कहा जाता है कि यहां जो भी सच्चे मन से पूजा करता है, उसकी हर मनोकामना पूरी होती है।
मंदिर जाने से पहले भक्त महामाया मंदिर से कुछ दूरी पर स्थित भैरव बाबा के मंदिर में जरूर रुकते हैं। मान्यता है कि भैरव बाबा के दर्शन किए बिना महामाया माता के दर्शन अधूरे माने जाते हैं। यह भी कहा जाता है कि भैरव बाबा की प्रतिमा की ऊंचाई धीरे-धीरे बढ़ रही है, जो अपने आप में एक रहस्य है।
तीन रूपों में दर्शन देती हैं माता महामाया
मां महामाया यहां तीन रूपों में भक्तों को दर्शन देती हैं – महाकाली, महालक्ष्मी और महासरस्वती। धार्मिक ग्रंथों में महामाया देवी का जो स्वरूप बताया गया है, वही रूप यहां भक्तों को देखने को मिलता है। भक्तों का मानना है कि माता की कृपा से जीवन की सभी परेशानियां दूर हो जाती हैं।
नवरात्रि में लाखों भक्तों की भीड़
नवरात्रि के समय रतनपुर का पूरा माहौल भक्तिमय हो जाता है। लाखों श्रद्धालु माता के दर्शन करने आते हैं। खासकर अष्टमी के दिन यहां विशेष पूजा होती है, जिसमें बड़ी संख्या में लोग शामिल होते हैं। कई भक्त पैदल यात्रा कर माता के दरबार में पहुंचते हैं और अपनी मनोकामना पूरी होने की प्रार्थना करते हैं। पूरे शहर को रोशनी और फूलों से सजाया जाता है, जिससे यहां का नजारा बहुत खूबसूरत लगता है।
रतनपुर कैसे पहुंचे?
- रतनपुर आने के लिए सड़क, रेल और हवाई मार्ग से आसानी से पहुंचा जा सकता है।
- रेल मार्ग: निकटतम रेलवे स्टेशन बिलासपुर जंक्शन है, जो यहां से 25 किलोमीटर दूर है।
- सड़क मार्ग: बिलासपुर से रतनपुर के लिए हर घंटे बस सेवा उपलब्ध है। टैक्सी से भी आसानी से पहुंच सकते हैं।
- हवाई मार्ग: सबसे नजदीकी एयरपोर्ट रायपुर में स्वामी विवेकानंद एयरपोर्ट है, जो यहां से 141 किलोमीटर दूर है।
श्रद्धा और आस्था का केंद्र
रतनपुर का महामाया मंदिर आस्था और विश्वास का प्रतीक है। यहां भक्त माता के चमत्कारों को महसूस करते हैं और सच्चे मन से पूजा कर आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। अगर आप भी माता महामाया की कृपा पाना चाहते हैं, तो
इस पावन धाम के दर्शन जरूर करें।