- एम्स भोपाल में अब नो टेंशन, छात्र-डॉक्टरों का स्ट्रेस हुआ छूमंतर!
- ‘हाउस ऑफ क्लब्स’ से जिंदगी में घुली खुशियों की चाशनी
- एक आत्महत्या ने एम्स को जगाया, अब खुशियों की नई राह दिखाया
भोपाल: खबर है दिल्ली के पास भोपाल से. एम्स भोपाल. वही, जहां डॉक्टर बनने का सपना लिए दूर-दूर से नौजवान आते हैं. लेकिन यहां भी कुछ दिन पहले एक ऐसी दुखद घटना हुई, जिसने पूरे अस्पताल को झकझोर कर रख दिया. पुणे के एक होटल में एम्स के ही 19 साल के एक छात्र ने मानसिक तनाव के चलते आत्महत्या कर ली थी. ये खबर सुनते ही एम्स में काम करने वाले डॉक्टर और पढ़ाई कर रहे छात्र सब सन्न रह गए. हर किसी के मन में एक ही सवाल था – आखिर ऐसा क्यों? लेकिन अब इस ‘क्यों’ का जवाब मिल गया है, और समाधान भी निकल आया है. एम्स भोपाल ने एक शानदार पहल की है, जिसका नाम है ‘हाउस ऑफ क्लब्स’. ये पहल ऐसी है, मानो डॉक्टरों ने किसी मरते हुए को बिना चीर-फाड़ के बचा लिया हो. तनाव अब इनके जीवन से ‘बाय-बाय’ कहेगा, और मुस्कुराहटें लौट आएंगी.
एक घटना, जिसने बदल दी तस्वीर
उस दुखद घटना के बाद एम्स प्रशासन की नींद उड़ी हुई थी. उन्हें समझ आ गया था कि सिर्फ दवा और पढ़ाई ही सब कुछ नहीं है, दिमाग का सुकून भी उतना ही ज़रूरी है. इसी को देखते हुए अब ऐसे छात्रों की काउंसलिंग करने की ज़ोरदार प्लानिंग की गई है, जो स्ट्रेस से जूझ रहे हैं. मकसद साफ है: उनका तनाव कम करना, ताकि कोई और ऐसा दर्दनाक कदम न उठा ले. और इसी कड़ी में शुक्रवार से एम्स भोपाल में ‘हाउस ऑफ क्लब्स’ की धमाकेदार शुरुआत हो गई है.
क्या है ये ‘हाउस ऑफ क्लब्स’?
एम्स भोपाल के कार्यकारी निदेशक प्रो. अजय सिंह ने बताया कि ये पहल छात्रों ने ही शुरू की है. यानी, ये कोई ऊपर से थोपी हुई चीज़ नहीं, बल्कि छात्रों की अपनी सोच का नतीजा है. प्रो. सिंह ने इसे ‘सराहनीय पहल’ और ‘जीवंत मंच’ बताया. इसका सीधा मकसद है – बच्चों की रचनात्मकता को बढ़ावा देना, उनमें भाईचारा बढ़ाना और सबसे ज़रूरी, उनके मानसिक स्वास्थ्य को मज़बूत करना. अच्छी बात ये है कि संस्थान का प्रशासन भी इस पहल के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ा है. प्रो. सिंह ने ये भी बताया कि छात्रों के लिए जिम के पास एक खास ‘स्टूडेंट काउंसिल कक्ष’ बनाया गया है, जो अब इस ‘हाउस ऑफ क्लब्स’ का अड्डा बन गया है.
यहां मिलेगी अपनी पहचान
‘हाउस ऑफ क्लब्स’ में अभी कई तरह के क्लब हैं, जो छात्रों की अलग-अलग रुचियों को पूरा करेंगे। जैसे – डांस क्लब, जहां आप अपने डांस मूव्स दिखा सकते हैं। म्यूजिक क्लब, जहां सुरों की महफिल सजेगी। ड्रामा और मूवी क्लब, जहां आप एक्टिंग का जलवा बिखेर सकते हैं या फिल्मों पर चर्चा कर सकते हैं। बुक एवं मैगज़ीन क्लब, जहां किताबों और कहानियों की दुनिया में खोया जा सकता है. और तो और, फोटोग्राफी व वीडियोग्राफी क्लब भी है, जहां आप अपनी आंखों से दुनिया को कैमरे में कैद कर सकते हैं. इन क्लब्स का एक ही मक़सद है: छात्रों को सिर्फ किताबी कीड़ा बनने से बचाना, उन्हें अपनी हॉबीज़ को चमकाने का मौका देना, और मेडिकल की मुश्किल पढ़ाई के बीच उन्हें तनाव से राहत दिलाना. प्रो. अजय सिंह ने साफ कहा, “एम्स भोपाल में हम मानते हैं कि एक स्वस्थ दिमाग, पढ़ाई में शानदार नंबर लाने जितना ही ज़रूरी है. ‘हाउस ऑफ क्लब्स’ छात्रों के लिए वो मंच है, जहां वे खुलकर अपनी बात रख सकते हैं, एक-दूसरे का साथ दे सकते हैं और क्लासरूम से बाहर भी तरक्की कर सकते हैं.”
शुरुआत हुई है धमाकेदार
इस नई और उम्मीद भरी पहल की शुरुआत म्यूज़िक जैमिंग सेशन के साथ हुई। सोचिए, बच्चे एक साथ बैठकर गिटार बजा रहे हैं, गाने गा रहे हैं, झूम रहे हैं। इस सेशन में छात्रों ने पूरे जोश और उत्साह के साथ हिस्सा लिया। ये सिर्फ एक शुरुआत भर है, आगे और भी कई क्रिएटिव और शानदार एक्टिविटीज़ होंगी। छात्र परिषद के सदस्यों ने इस मौके पर प्रशासन, खासकर प्रो. अजय सिंह का दिल से शुक्रिया अदा किया। आखिर उन्होंने ही छात्रों की ज़रूरतों को समझा और उनके समग्र विकास के लिए ये बड़ा कदम उठाया। अब एम्स भोपाल में तनाव को कहें बाय-बाय, क्योंकि ‘हाउस ऑफ क्लब्स’ आ गया है!