- निकाह महंगा नहीं, अब सस्ता होगा!
- मौलवी-हाफ़िज़ 1100 से ज़्यादा नहीं ले सकेंगे.
- वक्फ बोर्ड का सख्त एक्शन, नहीं तो खैर नहीं.
रायपुर, 4 जून 2025: छत्तीसगढ़ से आ रही है एक ऐसी खबर, जो मुस्लिम समाज में निकाह को लेकर एक बड़ी राहत ला सकती है. अब प्रदेश में निकाह पढ़वाने के लिए मौलाना, मौलवी, हाफ़िज़ और इमाम साहबान 1100 रुपये से ज़्यादा नहीं ले पाएंगे. जी हां, आपने बिल्कुल सही पढ़ा! छत्तीसगढ़ वक्फ बोर्ड ने इस बाबत एक कड़ा आदेश जारी कर दिया है, जिससे अब निकाह का खर्च काफी हद तक कम हो जाएगा और गरीब परिवारों को बड़ी राहत मिलेगी.
क्यों उठाया वक्फ बोर्ड ने ये कदम? 🤔
वक्फ बोर्ड के दफ्तर में पिछले कुछ समय से लगातार शिकायतें मिल रही थीं कि निकाह पढ़ाने वाले इमाम और मौलाना अपनी मनमानी फीस वसूल रहे हैं. यह न सिर्फ इस्लाम और शरीयत के सिद्धांतों के खिलाफ था, बल्कि कई गरीब और बेसहारा परिवारों के लिए निकाह कराना एक बड़ा आर्थिक बोझ बन गया था. वक्फ बोर्ड का मानना है कि निकाह को आसान बनाना चाहिए, ताकि कोई भी परिवार सिर्फ पैसे की कमी के चलते अपनी बेटियों या बेटों का निकाह टालने पर मजबूर न हो.
क्या है वक्फ बोर्ड का नया फ़रमान? 📜
वक्फ बोर्ड के आदेश के मुताबिक, अब निकाह पढ़ाने के लिए 11 रुपये से लेकर अधिकतम 1100 रुपये तक की राशि ही ली जा सकेगी. आदेश में साफ-साफ कहा गया है कि अगर कोई परिवार अपनी खुशी से इस तयशुदा रकम से ज़्यादा कुछ देना चाहता है, तो उसे ‘नज़राने’ के तौर पर कुबूल किया जाए, लेकिन उसमें किसी भी तरह की मनमानी या ज़बरदस्ती नहीं होनी चाहिए. छत्तीसगढ़ वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष सलीम राज ने इस बात पर जोर दिया है कि जो भी इस आदेश का पालन नहीं करेगा, उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी.
मनमानी की तो खैर नहीं! 🚨
यह आदेश सिर्फ एक सलाह नहीं, बल्कि एक सख्त चेतावनी है. वक्फ बोर्ड ने सभी मदरसों, मस्जिदों और धार्मिक संस्थाओं से कहा है कि वे अपने यहां के मौलाना, मौलवी, हाफ़िज़ और इमामों को इस नए नियम के बारे में सूचित करें. आदेश में यह भी साफ किया गया है कि अगर कोई संस्था वक्फ बोर्ड के इस निर्देश का पालन नहीं करती है, तो उसके खिलाफ वक्फ अधिनियम 1995 (यथा संशोधित 2025) के प्रावधानों के तहत कानूनी कार्रवाई की जाएगी. इतना ही नहीं, संस्था के मुतवल्ली (प्रबंधक) के खिलाफ भी एक्शन लिया जा सकता है. बोर्ड ने निकाह रजिस्टर को हर साल अपडेट करने और उसकी जानकारी बोर्ड को देने का भी निर्देश दिया है, ताकि पारदर्शिता बनी रहे.
ये बदलाव क्यों है ज़रूरी? ⚖️
इस्लाम में निकाह को एक सादे और आसान तरीके से करने पर ज़ोर दिया गया है. पैगंबर मोहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) ने खुद फरमाया है कि ‘सबसे बेहतरीन निकाह वो है, जो सबसे आसान हो’. ऐसे में, जब निकाह एक महंगा सौदा बन जाता है, तो यह दीन की बुनियादी रूह के खिलाफ होता है. वक्फ बोर्ड का यह कदम उन परिवारों के लिए एक उम्मीद की किरण है, जो महंगाई की मार के बीच निकाह जैसे पवित्र रिश्ते को निभाने में आर्थिक रूप से संघर्ष कर रहे थे. यह कदम समाज में समानता और सरलता लाने की दिशा में एक अहम पहल है.