बिलासपुर: छत्तीसगढ़ के बिलासपुर से एक ऐसी खबर आई है, जिसे सुनकर आपका कलेजा मुंह को आ जाएगा और दिमाग सुन्न पड़ जाएगा। गुटखे की एक पिचकारी ने न सिर्फ एक हंसते-खेलते परिवार की खुशियां उजाड़ दीं, बल्कि तीन जिंदगियां भी अस्पताल पहुंचा दीं। ये सिर्फ एक हादसा नहीं, बल्कि उस भयानक लापरवाही की इंतहा है, जिसका खामियाजा एक कपड़ा व्यापारी को अपनी जान देकर भुगतना पड़ा।
गुटखा बना काल, 100 की रफ्तार पर मौत का तांडव!
सोमवार की मनहूस रात थी। बिलासपुर-रायपुर हाईवे पर एक इनोवा गाड़ी फर्राटे भर रही थी, रफ्तार 100 किलोमीटर प्रति घंटे से ऊपर। अंदर बैठे लोग शायद अपनी धुन में थे, लेकिन ड्राइवर आकाश चंदानी को क्या सूझी, कि चलती गाड़ी में गुटखा थूकने के लिए उसने गेट खोल दिया। अरे भाई! ये कोई साइकिल की सवारी नहीं, बल्कि मौत से साक्षात्कार था! जैसे ही गेट खुला, गाड़ी का संतुलन बिगड़ा और वो हवा में किसी खिलौने की तरह उड़ गई। इनोवा कई पलटे खाते हुए डिवाइडर से टकराई और सड़क पर मौत का तांडव शुरू हो गया।
व्यापारी की मौत, दोस्तों की हालत गंभीर!
इस हादसे में 31 साल के जैकी गेही, जो कि चकरभाटा के जाने-माने कपड़ा व्यापारी थे, उनकी मौके पर ही मौत हो गई। जैकी इतनी बुरी तरह उछले कि डिवाइडर के पास एक मेटल के ढांचे से जा टकराए। उनके सीने, सिर और कंधों पर इतनी गंभीर चोटें आईं कि सांस लेने तक का मौका नहीं मिला। जैकी अपने दोस्त आकाश चंदानी और पंकज छाबड़ा के साथ एक पार्टी से लौट रहे थे। आकाश गाड़ी चला रहा था और पंकज आगे की सीट पर बैठा था। गुटखे की इस हरकत ने तीनों को गाड़ी से बाहर फेंक दिया। आकाश और पंकज भी गंभीर रूप से घायल होकर जमीन पर पड़े थे।
लापरवाह ड्राइवर, कई वाहनों से टकराई बेकाबू इनोवा!
पुलिस के मुताबिक, इनोवा सिर्फ पलटी ही नहीं, बल्कि बेकाबू होकर सड़क पर खड़े अन्य वाहनों से भी टकराती चली गई। पहले एक खड़ी व्यावसायिक गाड़ी से टकराई, फिर चार से पांच बार और पलटी खाते हुए, आखिर में एक खड़ी अर्टिगा से जा भिड़ी। अर्टिगा का ड्राइवर तो बेचारा गाड़ी स्टार्ट करके बाहर निकलने की सोच रहा था, लेकिन उसे मौका ही नहीं मिला और वो भी घायल हो गया।
सवाल उठता है, आखिर कब समझेंगे हम?
यह घटना सिर्फ एक सड़क हादसा नहीं, बल्कि उन लोगों के लिए एक कड़ा सबक है जो गाड़ी चलाते वक्त छोटी-मोटी लापरवाही को अनदेखा करते हैं। गुटखा थूकने के लिए चलती गाड़ी का दरवाजा खोलना, ये कैसी बचकानी हरकत है! क्या एक सेकंड का भी धैर्य नहीं कि गाड़ी किनारे रोककर अपना काम कर लो? इस तरह की लापरवाही न सिर्फ अपनी जान खतरे में डालती है, बल्कि दूसरों की जान भी ले लेती है। पुलिस और आपातकालीन सेवाएं तुरंत मौके पर पहुंचीं, घायलों को अस्पताल पहुंचाया और इलाके को सील कर मलबा हटाया गया, लेकिन क्या ये सब उस एक जान की भरपाई कर सकता है जो चली गई?
इस घटना से हमें सीखने की जरूरत है कि वाहन चलाते समय एक पल की भी लापरवाही कितनी भारी पड़ सकती है। सड़क पर सिर्फ आप नहीं होते, आपके साथ दूसरों की जिंदगी भी जुड़ी होती है.