तो सुनिए भईया, ये खबर है मध्य प्रदेश के शिवपुरी का, जहाँ एक ऐसा मामला सामने आया है जिसे सुनकर दिमाग घूम जाएगा। यहाँ भरे चौराहे पर, कुछ लोगों की मौजूदगी में, एक युवक के सिर पर जूते रखवाए गए जो वीडियो में साफ दिख रहा है। वहीं इस पूरी घटना के बीच कांग्रेस विधायक का ये आरोप हैं इस पूरे वाकये के दौरान एक भाजपा नेता भी वहाँ मौजूद थे। अब ये जो वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ है, उसने सिस्टम पर बड़े सवाल खड़े कर दिए हैं। क्या कानून अब भीड़ के हाथ में आ गया है या ये ‘आपसी समझौता’ के नाम पर किसी की इज़्ज़त की सरेआम धज्जियाँ उड़ाई जा रही हैं?
क्या है पूरा मामला?
मामला शिवपुरी के बैराड़ नगर का है। कुछ दिन पहले मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार रावत और गुप्ता परिवार के लड़कों के बीच किसी बात को लेकर मारपीट हो गई थी। अब जैसे ही मारपीट हुई, रावत परिवार बदला लेने की फिराक में था। मामला और न बिगड़े, इसके लिए पोहरी क्षेत्र के पूर्व मंत्री सुरेश राठखेड़ा और कुछ दूसरे जनप्रतिनिधियों की मौजूदगी में ‘समझौता’ कराने की बैठक हुई। यहाँ तक तो सब ठीक लग रहा था, लेकिन फिर रावत परिवार ने ऐसी शर्त रख दी कि अच्छे-अच्छों के कान खड़े हो गए। उनकी शर्त ये थी कि अगर मारपीट करने वाला लड़का चौराहे पर अपने सिर पर जूता रखकर माफ़ी मांगेगा, तभी उसे माफ़ किया जाएगा लड़का राजी हो गया! उसने बाकायदा सिर पर जूता रखकर माफ़ी मांगी। इस दौरान वहाँ कई लोग थे और हाँ और भाजपा नेता के भी खड़े होने का आरोप कांग्रेस विधायक लगा रहे है। मतलब, ये सब कुछ लोगों की मौजूदगी में हुआ और इसका वीडियो भी बना, जो अब आग की तरह फैल रहा है।
वीडियो वायरल होते ही सियासत में भूचाल, पुलिस भी हरकत में!
ये वीडियो जैसे ही इंटरनेट पर आया, समझो बम फट गया! लोग सवाल उठाने लगे कि ये कैसी कानून-व्यवस्था है? पुलिस भी तुरंत हरकत में आई। उन्होंने आनन-फानन में दो लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया और एक व्यक्ति को हिरासत में भी ले लिया है। अब पुलिस कह रही है कि वो मामले की गहराई से जाँच कर रही है। लेकिन भाईसाहब, सियासत भला चुप कैसे रहती? मध्य प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने तुरंत इस मुद्दे को लपका और ट्वीट कर सीधा सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने अपने ट्वीट में साफ-साफ लिखा, “बैराड़ (शिवपुरी) में युवक के सिर पर जूता रखा, फिर माफी मंगवाई! तालिबानी सजा के दौरान आपके पूर्व मंत्री सुरेश राठखेड़ा भी मौजूद थे! कभी अपने गृह मंत्रालय को भी नियम/कायदों के जूते पहनाइए! नंगे पैर, बदहवास भागती कानून-व्यवस्था अब अच्छी नहीं लगती!” पटवारी जी का ये बयान सीधे-सीधे कानून-व्यवस्था पर सवाल उठा रहा है।
समाज में भी उबाल, पूछ रहा है ‘ये क्या हो रहा है?’
सिर्फ सियासत ही नहीं, आम लोग और विभिन्न समाज भी इस घटना से गुस्से में हैं। पोहरी से कांग्रेस विधायक कैलाश कुशवाह ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की और इसे “शर्मनाक” और “तालिबानी सजा” बताया। उनका कहना था कि इस तरह की घटनाओं से अपराधियों को बढ़ावा मिलता है और व्यापारी वर्ग निशाने पर आ जाता है।
वहीं, जिस युवक के साथ यह कथित घटना हुई, उस वैश्य समाज के लोग भी शांत नहीं बैठे। उन्होंने इस घटना के विरोध में एक बड़ी रैली निकाली और एडिशनल एसपी को ज्ञापन सौंपकर इस मामले में कड़ी कार्रवाई की मांग की है।
ये सब देखकर बस एक ही सवाल उठता है कि क्या ‘समझौता’ और ‘पंचायती’ के नाम पर किसी को इस हद तक शर्मसार किया जा सकता है? क्या इस तरह की घटनाओं से समाज में गलत संदेश नहीं जा रहा है? पुलिस और प्रशासन अब आगे क्या कदम उठाते हैं, इस पर सबकी नज़र रहेगी। क्योंकि बात सिर्फ एक युवक की इज़्ज़त की नहीं है, बात है कानून के राज की।