- भारत ने बांग्लादेश से रेडीमेड कपड़ों और प्रोसेस्ड फूड पर लगाया बंदरगाह प्रतिबंध
- ये पाबंदी केवल खास पोर्ट्स से ही माल आने की देगी इजाजत
- बांग्लादेश के ‘समंदर तक रास्ता नहीं’ वाले बयान के बाद बढ़ा मामला
नई दिल्ली से आई बड़ी खबर ने पड़ोसी देश बांग्लादेश की नींद उड़ा दी है। भारत सरकार ने रेडीमेड कपड़े और प्रोसेस्ड फूड जैसे सामानों पर नया बंदरगाह प्रतिबंध ठोक दिया है। ये फैसला अचानक नहीं लिया गया, बल्कि बांग्लादेश की बदले की नीति और ऊल-जुलूल बयानों का जवाब है।अब बांग्लादेश से रेडीमेड वस्त्रों का आयात किसी भी ज़मीनी रास्ते से नहीं होगा। केवल दो समुद्री बंदरगाह—न्हावा शेवा और कोलकाता—से ही ये सामान भारत में घुस पाएंगे। बाकी सब रास्ते बंद!
किन-किन चीजों पर लगा बैन, जानिए लिस्ट
सरकार की अधिसूचना में साफ बताया गया है कि किन वस्तुओं को अब भारत में ज़मीनी रास्ते से घुसने की इजाजत नहीं होगी:
- रेडीमेड कपड़े
- फल, फ्रूट-फ्लेवर्ड ड्रिंक्स और कार्बोनेटेड पेय
- प्रोसेस्ड फूड (जैसे बेक्ड माल, चिप्स, स्नैक्स, कन्फेक्शनरी)
- सूती धागे का कचरा
- PVC और प्लास्टिक से बने तैयार उत्पाद
- प्लास्टिसाइज़र, रंग, कणिकाएं
- लकड़ी का फर्नीचर
ये सभी चीज़ें अब असम, मेघालय, त्रिपुरा, मिजोरम और पश्चिम बंगाल के कुछ ज़मीनी सीमा चेक पोस्ट से नहीं आ सकेंगी।
मछली, LPG और खाने का तेल—इन पर नहीं है रोक
सरकार ने यह भी स्पष्ट किया कि मछली, LPG, खाद्य तेल और क्रश्ड स्टोन पर यह बंदरगाह प्रतिबंध लागू नहीं होगा। इन चीजों को पहले की तरह ही बांग्लादेश से आयात किया जा सकेगा।
बांग्लादेश ने शुरू की थी ये लड़ाई, अब भुगत रहा अंजाम
इस सब की शुरुआत 13 अप्रैल को बांग्लादेश ने की थी, जब उसने भारत से ज़मीनी बंदरगाहों के जरिए यार्न (धागा) के एक्सपोर्ट पर रोक लगा दी थी। 15 अप्रैल से तो उन्होंने भारत से चावल भी लेना बंद कर दिया। फिर शुरू हुआ लंबा चेकिंग और बेवजह के ट्रांजिट शुल्क का खेल। भारत के पूर्वोत्तर राज्यों को इससे तगड़ा नुकसान हुआ। इसके बाद भारत ने 9 अप्रैल को बांग्लादेश को दी जा रही ट्रांसशिपमेंट सुविधा वापस ले ली, जिससे वो अपने माल को भारत के रास्ते मिडिल ईस्ट या यूरोप भेज सकता था।
यूनुस का विवादास्पद बयान बना ट्रिगर
इस पूरी कहानी का एक बड़ा मोड़ तब आया जब बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुखिया मुहम्मद यूनुस ने चीन में बयान दे डाला कि “भारत के पूर्वोत्तर राज्य बांग्लादेश के बिना समुद्र तक नहीं पहुंच सकते।” बस यहीं से मामला गर्मा गया। नई दिल्ली में इस बयान पर राजनीतिक दलों ने एकजुट होकर नाराजगी जताई और केंद्र सरकार से जवाबी कार्रवाई की मांग शुरू हो गई।
बांग्लादेश की चालाकी पर भारत ने कसा शिकंजा
सरकारी सूत्रों के मुताबिक, बांग्लादेश भारत को हर साल करीब 700 मिलियन डॉलर के रेडीमेड कपड़े भेजता है। अब ज़मीनी रास्ते बंद होने से उसका सीधा नुकसान होगा। वहीं भारत ने अब तक बांग्लादेश को बिना किसी बंदिश के व्यापार की छूट दी थी। लेकिन अब जब बांग्लादेश खुद एकतरफा पाबंदियां लगाने लगा, तो भारत ने भी बता दिया कि ‘दोस्ती एकतरफा नहीं होती।’
पूर्वोत्तर राज्यों के लिए ये कदम क्यों जरूरी था?
भारत का पूर्वोत्तर हिस्सा पहले से ही ट्रांसपोर्ट और व्यापार के लिहाज से सीमित साधनों में फंसा हुआ है। जब बांग्लादेश अपने बाजारों तक इन राज्यों की पहुंच रोकता है, और खुद उनके बाजार में घुसपैठ करता है, तो नुकसान भारत को ही होता है। सरकार ने ये भी कहा है कि समय-समय पर बैन की गई चीजों की लिस्ट की समीक्षा होती रहेगी ताकि पूर्वोत्तर राज्यों का न्यायपूर्ण विकास सुनिश्चित किया जा सके।
भारत ने साफ कर दिया—दूसरे की पीठ पर चढ़कर ऊंचा नहीं हो सकते
सरकारी अफसरों ने साफ शब्दों में कहा है—“बांग्लादेश द्विपक्षीय संबंधों की शर्तें अपने हिसाब से तय नहीं कर सकता। अगर बाजार चाहिए, तो विश्वास भी दिखाना होगा।” भारत बातचीत को तैयार है, लेकिन अब भरोसा ज़रूरी है, सिर्फ फायदे की गिनती नहीं।
नतीजा क्या निकला?
बांग्लादेश की चालाकी पर भारत का ये जवाब कड़ा है, लेकिन जरूरी भी। जो देश आपको एकतरफा नियमों में जकड़ना चाहे, उसे तगड़ा झटका देना बनता है। भारत ने दिखा दिया कि बाजार के रास्ते भी तभी खुलते हैं, जब रिश्तों में ईमानदारी होती है।
अगर यही हाल रहा, तो आने वाले महीनों में बांग्लादेश के कारोबार को और बड़ा झटका लग सकता है। और भारत? वो तो अब व्यापार और कूटनीति, दोनों में एकदम फॉर्म में है।