- विधायक जी Ola कैब से विधानसभा पहुंचे
- कैब का किराया नकद दिया, बोले बैंक खाता नहीं
विवान तिवारी/ भोपाल: अरे भई, ज़रा सोचिए। मध्य प्रदेश विधानसभा का मॉनसून सत्र चल रहा हो और आप देखें कि एक विधायक अपनी भारी-भरकम, चमचमाती लग्ज़री कार से नहीं, बल्कि एक मामूली Ola कैब से उतरकर आ रहे हैं। क्या हुआ, दिमाग घूम गया न? जी हां, ऐसा ही कुछ नज़ारा दिखा जब पिछोर के विधायक साहब विधानसभा पहुंचे। आमतौर पर हमारे दिमाग में नेताओं की जो तस्वीर होती है, वो महंगी गाड़ियों, काफिले और रौबदार एंट्री वाली होती है। देश में तो हाल ये है कि कई जगह पार्षद भी फॉर्च्यूनर में घूमते नज़र आते हैं। उनके खुद के कई विधानसभा के साथी भी अपनी महंगी गाड़ियों में सदन आए थे, लेकिन पिछोर के विधायक ने सबको चौंका दिया। किसी को यकीन ही नहीं हो रहा था कि एक विधायक भी कैब से आ सकता है।
‘इंद्रदेव’ और ‘कैश पेमेंट’ का दिलचस्प कनेक्शन
अब जब विधायक जी से इस ‘टैक्सी अवतार’ को लेकर मीडिया ने पूछा तो उन्होंने बड़ी मज़ेदार कहानी सुनाई। बोले, “अरे क्या बताएं, फिलहाल इंद्रदेव नाराज़ चल रहे हैं। इसलिए मैं अपनी विधानसभा से ट्रेन पकड़कर भोपाल आया और फिर भोपाल आकर कैब से सीधे सदन।” उन्होंने ये भी जोड़ा कि जैसे ही इंद्रदेव से सुलह हो जाएगी और बरसात खत्म हो जाएगी, वो फिर अपनी गाड़ी से ही आएंगे। बात यहीं खत्म नहीं हुई। जब उनसे पूछा गया कि उन्होंने कैब का किराया नकद क्यों दिया, तो विधायक जी ने जो जवाब दिया उसने बड़ा खुलासा कर दिया। बोले, “न तो मेरे पिताजी का कोई बैंक खाता था, न मेरा कोई बैंक खाता है। ऐसे में एटीएम कहां से आएगा? फिर ऑनलाइन पेमेंट की तो बात ही छोड़िए। अब सोचिए, आज के ज़माने में जब चाय वाले से लेकर बड़े से बड़े मॉल तक यूपीआई और ऑनलाइन पेमेंट चल रहा है, तब एक विधायक के पास बैंक खाता नहीं है। ये बात सुनकर कईयों का तो मुंह खुला का खुला रह गया होगा।
‘डिजिटल इंडिया’ पर सवाल!
पिछोर से विधायक बने प्रीतम लोधी जी बीजेपी के टिकट पर चुनाव जीते हैं। अब इनकी पार्टी यानी बीजेपी तो हमेशा यूपीआई पेमेंट को बढ़ावा देने और लोगों को इसके लिए जागरूक करने की बात करती है। जगह-जगह ‘डिजिटल इंडिया’ और ‘कैशलेस ट्रांज़ैक्शन’ के नारे लगते हैं। ऐसे में इनकी पार्टी का एक विधायक, जिसका अब तक बैंक खाता ही नहीं है, ये अपने आप में सिर्फ एक बड़ी ख़बर ही नहीं, बल्कि एक बड़ा सवाल भी है। क्या ‘डिजिटल इंडिया’ की ये गंगा सबके लिए एक जैसी बह रही है? क्या वाकई हमारे जन प्रतिनिधि जनता से इतने जुड़े हैं कि उन्हें बैंक खाते की ज़रूरत ही महसूस नहीं होती, या फिर ये कोई और ही कहानी है?
विधायक जी अपनी सादगी का हवाला देते हुए कहते हैं कि उनकी पांच बीघा ज़मीन है, उसी से उनकी दाल-रोटी चलती है। बात सही भी हो सकती है, लेकिन जिस देश में प्रधानमंत्री से लेकर आम आदमी तक डिजिटल लेनदेन की बात कर रहा हो, वहां एक विधायक का ‘बैंक खाता नहीं’ वाला बयान थोड़ा खटकता ज़रूर है। ये घटना न सिर्फ लोगों को चौंका रही है, बल्कि ‘नया भारत’ बनाने के दावों पर एक अलग रोशनी भी डाल रही है। देखते हैं, इंद्रदेव कब तक नाराज़ रहते हैं और विधायक जी की गाड़ी कब तक वापस आती है!