- अस्पताल में डॉक्टर से बात कर रहे युवक को अचानक पड़ा दिल का दौरा
- 30 मिनट तक चला CPR और इलेक्ट्रिक शॉक का संघर्ष, फिर लौटी सांस
- नागदा के डॉक्टर सुनील चौधरी की सूझबूझ ने बचाई युवक की जान
उज्जैन/नागदा: कहते हैं ना कि भगवान हर जगह नहीं पहुंच सकते, इसलिए उन्होंने डॉक्टर बनाए हैं। उज्जैन के नागदा शहर में एक ऐसा ही वाकया सामने आया जिसने इस कहावत को हकीकत में बदल दिया। यहां चौधरी अस्पताल में बुधवार की सुबह एक युवक की जान अचानक खतरे में पड़ गई, लेकिन डॉक्टर की मुस्तैदी ने वो कर दिखाया जो चमत्कार से कम नहीं था। सुबह करीब 10 बजे, नागदा के पास के गांव रुपेटा से 30 साल का सन्नी अपनी बिगड़ती तबीयत के चलते परिजनों के साथ चौधरी हॉस्पिटल पहुंचा। जैसे ही डॉक्टर से बातचीत चल ही रही थी, सन्नी अचानक बेहोश होकर गिर गया। किसी को समझ नहीं आया कि ये हुआ क्या।
कैमरे में कैद हुई जिंदगी और मौत की जंग
हॉस्पिटल का CCTV फुटेज अब सामने आया है। इसमें साफ दिखता है कि सन्नी अपने परिजनों के साथ अस्पताल में आता है, डॉक्टर से बात चल रही होती है, और फिर अचानक वो लड़खड़ाता है और ज़मीन पर गिर जाता है।
उसके बाद जो होता है वो रोंगटे खड़े कर देने वाला है। डॉक्टर सुनील चौधरी और उनकी टीम बिना वक्त गंवाए सन्नी को स्ट्रेचर पर लिटाते हैं। सबसे पहले CPR दी जाती है – यानी छाती पर बार-बार दबाव देकर धड़कन वापस लाने की कोशिश। जब उससे असर नहीं हुआ तो इलेक्ट्रिक शॉक दिया गया। ये प्रक्रिया पूरे 30 मिनट तक चली।
हर मिनट था कीमती, और डॉक्टर ने वो मिनट बचा लिए
डॉ. सुनील चौधरी ने खुद बताया कि सन्नी को हार्ट अटैक आया था। अगर 10-15 मिनट भी देरी हो जाती तो शायद सब खत्म हो जाता। उन्होंने कहा – “हार्ट अटैक में हर मिनट का मतलब जिंदगी और मौत के बीच की दूरी होता है।”इस तरह की हालत में सही वक्त पर सही इलाज मिल जाए, तो सबसे बड़ी बीमारी भी हार मान लेती है। डॉक्टर ने साफ कहा – अगर परिजन थोड़ी भी देर करते, तो हम शायद उसे नहीं बचा पाते।
परिजनों ने कहा – भगवान ने नहीं, डॉक्टर ने बचा लिया
जब सन्नी को होश आया और उसकी सांसें फिर से चलीं, तब उसके परिवार वालों की आंखों से आंसू थम नहीं रहे थे। उन्होंने डॉक्टर चौधरी और उनकी पूरी टीम का आभार जताते हुए कहा – “अगर सही वक्त पर इलाज नहीं मिला होता, तो आज हम अपना बेटा खो चुके होते।” वीडियो, जो लोगों को सोचने पर मजबूर कर रहा है। इस घटना का वीडियो अब सोशल मीडिया पर भी चर्चा का विषय बन चुका है। लोग इसे देखकर कह रहे हैं – “ये सिर्फ इलाज नहीं था, ये एक जंग थी – मौत के खिलाफ। और इसमें डॉक्टर जीत गए।”
अंत में – हार्ट अटैक वक्त नहीं देखता, लेकिन वक्त पर इलाज ज़रूरी है
ये घटना सिर्फ एक खबर नहीं है। ये एक सबक है। कि हार्ट अटैक जैसे मामलों में ‘थोड़ी देर’ का मतलब बहुत भारी पड़ सकता है। इसलिए शरीर अगर कोई संकेत दे रहा है तो उसे नजरअंदाज मत कीजिए। तुरंत डॉक्टर के पास जाइए।क्योंकि कभी-कभी जिंदगी दो मिनट की देरी से हाथ से निकल जाती है, और कभी-कभी एक डॉक्टर की फुर्ती उसे वापस खींच लाती है – जैसे नागदा के डॉक्टर चौधरी ने किया।