हाइलाइट्स:
- नक्सलियों के गढ़ में खुला बैंक।
- आजादी के बाद पहली बार हुई ऐसी पहल।
- विकास की नई सुबह, शांति की उम्मीद।
बस्तर की माटी में अक्सर खून और गोलियों की कहानियाँ लिखी जाती थीं, लेकिन अब यहाँ इंकलाब की एक नई कहानी लिखी जा रही है। वो कहानी, जो बताती है कि कैसे विकास की बयार अब नक्सलियों के सबसे मजबूत ठिकानों तक पहुँच रही है। छत्तीसगढ़ के कांकेर जिले में, कोयलीबेड़ा ब्लॉक के पानीडोबीर गाँव में, जहाँ कभी नक्सलियों के LOS (लोकल ऑपरेशनल स्क्वाड) का राज चलता था, आज़ादी के बाद पहली बार एक निजी बैंक की शाखा खुल गई है। यह सिर्फ एक बैंक नहीं, बल्कि बस्तर में बदलती तस्वीर का जीता-जागता सबूत है। जैसा कि कहते हैं, “जहाँ चाह, वहाँ राह!”
नक्सलियों का गढ़, अब विकास का केंद्र!
पानीडोबीर, वो गाँव जो नक्सल संगठन की रीढ़ की हड्डी माने जाने वाले LOS का मजबूत किला था। ये वही LOS है जो संगठन के विस्तार से लेकर नए लोगों को जोड़ने तक का काम करती है। लेकिन अब इसी गढ़ में विकास ने अपने पांव पसारे हैं। पहले यहाँ बंदूक की गूंज सुनाई देती थी, अब उम्मीद है कि भरोसे के खाते खुलेंगे और शांति की बयार बहेगी। यह हिंसा पर विकास की पहली और सबसे बड़ी जीत है।
‘अब हमारी सोच में भी नहीं था कि यहाँ बैंक खुलेगा!’
शनिवार को छत्तीसगढ़ के वित्तमंत्री ओपी चौधरी ने पानीडोबीर में इस निजी बैंक का डिजिटली उद्घाटन किया। एक प्रतिष्ठित मीडिया चैनल के अनुसार वहां के ग्रामीणों की आँखों में खुशी और उम्मीद साफ झलक रही है। ग्रामीणों का कहना है पहले बैंक जाने के लिए उन्हें 20 किलोमीटर का लंबा सफर तय करना पड़ता था, लेकिन अब गाँव में ही यह सुविधा मिल गई है। गाँव की युवती सनिता नौगो ने बताया कि वह साल भर से बैंक सुविधा और स्वास्थ्य सुविधा के लिए लगातार आवेदन दे रही थी।
अब गाँव ‘नियद नेल नार योजना’ से जुड़ गया है, बैंक खुल गया है और उप स्वास्थ्य केंद्र भी बन रहा है। पक्की सड़कें, बिजली और पानी की सुविधा भी यहाँ पहुँच गई है। गाँव के जनप्रतिनिधि पीलू उसेंडी के शब्द इस बदलाव की कहानी कहते हैं, “पहले इस क्षेत्र में नक्सलवाद का ख़ौफ़ था, अब तो शांति की बयार बह रही है।” यह बदलाव किसी फिल्म के डायलॉग जैसा है, जिसे देखकर लगता है जैसे “अंधेरा छँटेगा, सूरज निकलेगा!”
चिलपरस से आलपरस तक, जवानों की तैनाती का कमाल!
पानीडोबीर गाँव को लंबे समय तक नक्सलवाद का गढ़ माना जाता रहा है। एक दौर था जब इस इलाके से नक्सलवाद से जुड़ी दिल दहला देने वाली खबरें आती थीं। लेकिन चिलपरस और आलपरस सहित आसपास के इलाकों में जवानों की लगातार तैनाती ने नक्सलियों के दांत खट्टे कर दिए हैं। इसी का नतीजा है कि इस इलाके में सड़कें बनीं, पुल-पुलिया का निर्माण हुआ, बेहतर शिक्षा के लिए स्कूल और आश्रम की सुविधाओं को दुरुस्त किया गया। पीने के पानी के लिए बोर खनन, शेड निर्माण और बेहतर कनेक्टिविटी की सुविधा भी अब यहाँ के लोगों को मिलनी शुरू हो गई है। और अब, उनके द्वार पर बैंक की सुविधा भी पहुँच गई है। यह दिखाता है कि कैसे सुरक्षा बलों की मुस्तैदी ने विकास के रास्ते खोले हैं।
उत्तर बस्तर कांकेर, छत्तीसगढ़ के उन जिलों में से एक है जहाँ के लोग बरसों से नक्सलवाद का दंश झेलते आ रहे हैं। लेकिन अब सरकार ने इसकी समाप्ति के लिए मार्च 2026 की तारीख तय कर दी है। बस्तर के विभिन्न इलाकों में पुलिस और नक्सलियों के बीच मुठभेड़ की खबरें आने लगी हैं, जिसमें बड़ी संख्या में नक्सली मारे जा रहे हैं। उत्तर बस्तर का भी यही हाल है, यहाँ भी नक्सलवाद अब काफी पीछे छूटता नजर आ रहा है।
सवेदनशील इलाकों में खोले गए कैंपों से कई इलाकों में नक्सल गतिविधियों पर अंकुश लगा है। यही वजह है कि अब इन इलाकों में विकास ने रफ्तार पकड़ ली है। पानीडोबीर में बैंक का खुलना सिर्फ एक शुरुआत है, यह बस्तर की नई पहचान बन रही है, जहाँ बंदूक की जगह भरोसे और विकास की कलम चलती है।