- बासवराजू का लैपटॉप, मोबाइल और टैबलेट खोलेगा राज, एजेंसियों की टीम डिकोडिंग में जुटी।
- नक्सलियों के अंतर्राष्ट्रीय मददगारों के नाम होंगे बेनकाब, देश-दुनिया में फैले नेटवर्क का होगा खुलासा।
- पहले भी हुए हैं बड़े खुलासे, इस बार ‘रेड कॉरिडोर’ में बैठे चेहरों की कुंडली सामने आएगी।
लो भाईसाहब! अब नक्सलियों की खैर नहीं! बस्तर के बीहड़ों में 21 मई को हुए भीषण मुकाबले में खाक हुआ देश का सबसे बड़ा नक्सली लीडर बासवराजू, अपने साथ जो ‘डिजिटल खजाना’ ले गया, वो अब नक्सलियों के माथे पर चिंता की लकीरें खींच रहा है और एजेंसियों को सुकून दे रहा है. डीआरजी के जवानों ने उसके पास से एक लैपटॉप, एक टैबलेट और कुछ डायरियां बरामद की हैं. ये कोई मामूली चीजें नहीं हैं, बल्कि ये नक्सलियों के बस्तर से लेकर देश-दुनिया में फैले उनके गुर्गों और मददगारों के नामों का पिटारा खोल सकती हैं. पुलिस महकमा इन बरामदगियों से इतना खुश है कि पूछो मत! मानो इन्हें कोई जैकपॉट लग गया हो.
अंतर्राष्ट्रीय मददगारों के नाम आ सकते हैं सामने, डिकोडिंग जारी!
पुलिस को पूरा भरोसा है कि बासवराजू के इन हाई-टेक गैजेट्स से ऐसे कई राज सामने आएंगे, जिनसे दुनिया दंग रह जाएगी. माना जा रहा है कि इन उपकरणों में सिर्फ बस्तर ही नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नक्सलियों को पालने-पोसने वाले नामों का भी खुलासा हो सकता है. सोचो जरा, अगर नक्सलियों के विदेशी कनेक्शन सामने आ गए तो क्या होगा! एजेंसियों की नींद उड़ जाएगी और बड़ी कार्रवाई होगी. इस बार तो लगता है, नक्सलवाद को जड़ से उखाड़ने का और बड़ा मास्टर प्लान तैयार हो जाएगा.
पहले भी हुए हैं बड़े खुलासे, ये तो बस ट्रेलर है!
ये पहली बार नहीं है जब किसी नक्सली लीडर के मरने के बाद उसके इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स से ऐसे अहम खुलासे हुए हों. पहले भी कई मुठभेड़ों के बाद नक्सली लीडर्स के मोबाइल-लैपटॉप से कई ‘सीक्रेट’ जानकारियां मिली हैं और उन्हीं के दम पर बड़े-बड़े लोग सलाखों के पीछे पहुंचे हैं. याद करो, पहले नेपाल से लेकर फिलीपींस तक नक्सलियों के कनेक्शन सामने आए थे. लेकिन इस बार पुलिस को यकीन है कि देश में नक्सलवाद को बढ़ाने वालों की पूरी कुंडली ही हाथ लगने वाली है. पुलिस का अनुमान है कि इस बार नेपाल के पशुपतिनाथ से लेकर तिरुपति तक फैले ‘रेड कॉरिडोर’ में बैठे उन सफेदपोशों के बारे में भी जानकारी मिलेगी, जो नक्सलियों को अंदरखाने से सपोर्ट करते हैं. सोचो जरा, इन गैजेट्स से जो लिस्ट निकलेगी, वो कितनी लंबी होगी!
कौन था बासवराजू? ‘शहरी नेटवर्क’ का सबसे बड़ा खिलाड़ी!
अब बात करते हैं बासवराजू की. ये कोई छोटा-मोटा मोहरा नहीं था, बल्कि देश में नक्सलियों का सुप्रीम लीडर था. पूरे संगठन को यही चलाता था. लेवी वसूलना हो, हथियार खरीदना हो या कोई और काला-धंधा, सब इसी के इशारे पर होता था. और ये काम बिना ‘शहरी नेटवर्क’ के संभव ही नहीं था. इसीलिए लैपटॉप और टैबलेट में इससे जुड़ी ढेरों जानकारियां होने की प्रबल संभावना है. अब उन शहरी मददगारों की शामत आने वाली है, जो एसी कमरों में बैठकर इन खूनियों का साथ देते थे.
2019 में भी हुआ था बड़ा धमाका, इस बार और बड़ा होगा!
याद है 2019 की बात? जुलाई में बस्तर के तिरिया में एक मुठभेड़ हुई थी, जिसमें नक्सली लीडर आरके मारा गया था. उसके पास से एक तेलुगु में लिखी डायरी मिली थी. एनआईए ने जब उसे डिकोड किया, तो आंध्र और तेलंगाना में काम कर रहे नक्सलियों के ‘शहरी नेटवर्क’ का भंडाफोड़ हो गया था. कई ‘सप्लाई चेन’ से जुड़े लोग गिरफ्तार हुए थे. इस बार तो लैपटॉप, टैबलेट और डायरियां हैं, जिनसे उम्मीद है कि धमाका और भी बड़ा होगा!
आईटी एक्सपर्ट्स की टीम दिन-रात जुटी, राज खोलने की तैयारी!
इस बार बासवराजू के लैपटॉप, टैबलेट और डायरियों से सारी जानकारी निकालने की जिम्मेदारी आईटी एक्सपर्ट्स को दी गई है. टीम दिन-रात लगी हुई है और शुरुआती तौर पर कुछ जानकारियां सामने भी आ गई हैं, लेकिन अभी भी कई फाइलें ऐसी हैं जिन्हें डिकोड करने की कोशिश चल रही है. बताया जा रहा है कि इन गैजेट्स में सभी फाइलें बेहद सुरक्षित तरीके से एन्क्रिप्टेड हैं. मोबाइल से भी कई अहम जानकारियां मिली हैं, जैसे नक्सली नेता इंटरनेट और व्हाट्सऐप कॉलिंग का जमकर इस्तेमाल करता था. इन सारी जानकारियों को जोड़कर पुलिस नक्सलियों की पूरी क्राइम फाइल तैयार करेगी. अब देखना ये है कि कौन-कौन से बड़े नाम सामने आते हैं और कब तक नक्सलियों का ये नापाक खेल खत्म होता है. ये तो आने वाला वक्त ही बताएगा!