- पीएम मोदी को होल्कर राजवंश की खास पेशवाई पगड़ी पहनाई गई
- इस पगड़ी का इतिहास पेशवाओं से लेकर होल्कर सेना तक फैला है
- आम आदमी नहीं पहन सकता था ये शाही सम्मान की निशानी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब भोपाल में ‘महिला शक्ति महासम्मेलन’ में मंच पर पहुंचे, तो सबकी नजर उनके सिर पर बंधी एक शाही लाल पगड़ी पर टिक गई। ये कोई आम पगड़ी नहीं थी, बल्कि होल्कर राजवंश की गौरवशाली पेशवाई पगड़ी थी। लाल मखमल के कपड़े पर सुनहरी लकीरों का काम और मोतियों की झालर इस पगड़ी को और भी खास बना रहे थे।
सीएम मोहन यादव ने पहनाई शाही पगड़ी
इस आयोजन में पीएम मोदी को मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने पूरे सम्मान के साथ यह पगड़ी पहनाई। प्रधानमंत्री पूरे कार्यक्रम के दौरान मंच पर इसी पगड़ी के साथ मौजूद रहे और जनता को संबोधित भी किया। पगड़ी का सम्मान क्या होता है, ये देखकर समझा जा सकता था।
होल्कर राजवंश और पुणे की पेशवाई का जुड़ाव
एक रिपोर्ट में इतिहासकार जफर अंसारी बताते हैं कि ये पेशवाई पगड़ी मूल रूप से पुणे पेशवा दरबार की पहचान थी। मल्हारराव होल्कर जब पुणे में पेशवाओं के अधीन सूबेदार थे, तब वे इस पगड़ी को मालवा लेकर आए थे। इसके बाद यह होल्कर रियासत का प्रतीक बन गई।
सिर्फ खास लोगों को मिलती थी ये इजाजत
इस पगड़ी को पहनने की इजाजत किसी आम आदमी को नहीं थी। इतिहास बताता है कि सिर्फ सूबेदार, सेना के सिपहसालार और ‘रायबहादुर’ जैसी उपाधियों से सम्मानित लोगों को ही यह पगड़ी पहनने का अधिकार था। उदाहरण के तौर पर, इंदौर के सर सेठ हुकुमचंद को जब रायबहादुर की उपाधि मिली, तब उन्हें इस पगड़ी के साथ-साथ हाथी की सवारी का भी सम्मान मिला। यानी यह पगड़ी सिर्फ कपड़ा नहीं, बल्कि शाही इजाज़त और पहचान का प्रतीक थी।
अतीत से वर्तमान तक जिंदा परंपरा
पीएम मोदी को यह पगड़ी पहनाकर न केवल होल्कर रियासत की शाही परंपरा को सम्मान दिया गया, बल्कि यह भी संदेश गया कि इतिहास की इन विरासतों को आज भी पूरी गरिमा के साथ जिंदा रखा गया है। ये वही पगड़ी है जो कभी पेशवा दरबार, होल्कर सेना और रियासत के रुतबे का हिस्सा हुआ करती थी।