- जीत की खुशी में डूबे कोच को आया हार्ट अटैक!
- रिसाली के रावण भाठा मैदान में पसरा मातम!
- खिलाड़ियों और फुटबॉल प्रेमियों में शोक की लहर!
जीत का जश्न मातम में बदला: फुटबॉल कोच की हार्ट अटैक से मौत, पसरा सन्नाटा!
छत्तीसगढ़: अरे भाईसाब! फुटबॉल मैदान में ऐसा मनहूस मंज़र शायद ही किसी ने देखा हो. शुक्रवार का दिन रिसाली के रावण भाठा मैदान में एक ऐसी दर्दनाक घटना का गवाह बना, जिसने जीत के जश्न को एक पल में मातम में बदल दिया. न्यू मशाल क्लब (जूनियर) के कोच सुरेश राउत (52) अपनी टीम की धमाकेदार जीत का जश्न मना ही रहे थे कि काल ने उन्हें दबोच लिया. खुशी से झूमते-नाचते कोच साहब को अचानक दिल का दौरा पड़ा और वे हमेशा के लिए खामोश हो गए. ये खबर सुनकर हर कोई सन्न रह गया है, मानो किसी ने चलते मैच में सीटी बजाकर खेल ही खत्म कर दिया हो.
जीत के बाद छाया सन्नाटा
मैच खत्म हुआ, न्यू मशाल क्लब ने शानदार जीत दर्ज की. खिलाड़ियों और कोच सुरेश राउत की खुशी का ठिकाना नहीं था. सब जीत के रंग में रंगे हुए थे, नाच-गा रहे थे. लेकिन होनी को कुछ और ही मंजूर था. कुछ ही देर बाद, खुशी के माहौल में अचानक सन्नाटा पसर गया. कोच सुरेश राउत की तबीयत बिगड़ी और वो अपनी कुर्सी से नीचे गिर पड़े. अरे भाई! किसी को कुछ समझ ही नहीं आया कि आखिर हुआ क्या. आनन-फानन में उन्हें रिसाली के एक प्राइवेट अस्पताल ले जाया गया, लेकिन डॉक्टरों ने उन्हें देखकर मृत घोषित कर दिया. आशंका यही जताई जा रही है कि उन्हें ‘कार्डिएक अरेस्ट’ आया था. ये एक ऐसी स्थिति होती है, जब दिल अचानक काम करना बंद कर देता है, जिससे तुरंत मौत हो सकती है, अगर मेडिकल मदद न मिले. वाकई, किस्मत का खेल भी निराला है.
कौन थे सुरेश राउत?
जानकारी के मुताबिक, सुरेश राउत भिलाई-3 की विश्व बैंक कॉलोनी में रहते थे. पेशे से वे एक फाइनेंस कंपनी में काम करते थे, लेकिन उनका असली जुनून था फुटबॉल. वे न्यू मशाल क्लब (जूनियर) के कोच के तौर पर नन्हें खिलाड़ियों को फुटबॉल के गुर सिखाते थे. सोचिए, जिस शख्स ने बच्चों को जीतना सिखाया, वो खुद जीत का जश्न मनाते हुए दुनिया से रुखसत हो गया. शुक्रवार को अपनी टीम के साथ फाइनल मुकाबला खेलने के लिए ही वे रिसाली के दशहरा मैदान के पास वाले फुटबॉल ग्राउंड पहुंचे थे.
रोमांचक मैच और फिर दर्दनाक अंत
मैच भी क्या गज़ब का था! प्रतिद्वंद्वी टीम ने शुरुआत में तीन गोल दागकर न्यू मशाल क्लब की हालत खराब कर दी थी, लेकिन सुरेश राउत के लड़के भी कहां हार मानने वाले थे! उन्होंने जोरदार वापसी की और तीन गोल दागकर स्कोर बराबर कर दिया. और फिर क्या था, आखिर में एक निर्णायक गोल करके मुकाबला अपने नाम कर लिया. मैदान में खुशी का माहौल था, हर तरफ ‘जीत गए, जीत गए’ की आवाज़ें गूँज रही थीं. कोच साहब भी खिलाड़ियों के साथ जश्न में पूरी तरह डूबे हुए थे. इस खुशी के कुछ पल बाद जब खिलाड़ी और कोच नाश्ता कर रहे थे, तभी सुरेश राउत की तबीयत बिगड़ी. वो कुर्सी से गिरे और फिर कभी होश में नहीं आए. अस्पताल पहुँचने पर डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया. उनका पार्थिव शरीर अब सुपेला के सरकारी अस्पताल की मर्चुरी में है, जहाँ शनिवार को पोस्टमार्टम होगा.
अकेला छोड़ गए सबको
बताया जा रहा है कि सुरेश राउत की पत्नी इस वक्त गांव में हैं और उनके कोई संतान नहीं है. सोचिए, इस दुख की घड़ी में उस पत्नी पर क्या बीत रही होगी, जब पति की जीत की खबर मिली होगी और साथ ही मौत की मनहूस ख़बर भी. इस अप्रत्याशित घटना ने पूरे क्षेत्र के फुटबॉल प्रेमियों और खासकर उनके शिष्यों को गहरे सदमे में डाल दिया है. हर किसी की जुबान पर बस एक ही बात है, “ये क्या हो गया!”