- रायपुर में 16 साल से जमे बांग्लादेशी दंपत्ति गिरफ्तार।
- फर्जी पासपोर्ट, आधार कार्ड और मार्कशीट बरामद।
- अंडे के ठेले के पीछे छिपा था बड़ा राज़।
रायपुर की टिकरापारा पुलिस ने शनिवार को एक ऐसे बांग्लादेशी दंपत्ति को दबोचा है, जो पिछले 16 सालों से रायपुर में अंडे का ठेला लगाकर अपनी पहचान छिपाए हुए था। ये तो सीधा-सीधा मामला निकला “अंडा बेचने वाला, पुलिस के हत्थे चढ़ने वाला”! 😮 पुलिस ने जब इनकी कुंडली खंगाली, तो पता चला कि इनके पास से तो फर्जी पासपोर्ट, नकली मार्कशीट और यहां तक कि फर्जी आधार कार्ड जैसे दस्तावेज भी मिले हैं। दिल थाम के बैठिए, ये कहानी जितनी सीधी दिख रही है, उतनी है नहीं!
बांग्लादेश से रायपुर तक का सफर और फर्जीवाड़े का खेल
पुलिस के मुताबिक, गिरफ्तार किए गए आरोपी का नाम दिलावर खान है और उसकी पत्नी का नाम परवीन बेगम है। ये जनाब अपनी बीवी और नन्ही बच्ची के साथ बांग्लादेश से भारत आए थे। बड़ी चालाकी से इन्होंने अपनी असली पहचान छिपाई और रायपुर की अलग-अलग जगहों पर गैर-कानूनी तरीके से अपना डेरा जमा लिया। हद तो तब हो गई जब इन्होंने भारत आने के बाद बकायदा भारत का फर्जी पासपोर्ट भी बनवा लिया। 😱 टिकरापारा थाने के धर्मनगर में किराए के मकान में रह रहा ये दंपत्ति, रायपुर में कई और जगहों पर भी किराए का मकान लेकर पिछले 16 साल से कुंडली मारे बैठा था। जनाब दिलावर खान अंडे का ठेला लगाकर ही अपनी गुजर-बसर कर रहे थे, लेकिन पुलिस को ये भांडाफोड़ करने में 16 साल लग गए!
फर्जी दस्तावेजों का जखीरा और बांग्लादेश कनेक्शन
रायपुर एसपी लाल उमेद सिंह ने बताया कि मुखबिर से मिली पुख्ता जानकारी के बाद पुलिस ने इस बांग्लादेशी दंपत्ति को दबोचा। इनकी तलाशी में पुलिस को मोबाइल फोन, फर्जी पासपोर्ट, नकली मार्कशीट, फर्जी आधार कार्ड और ढेर सारे ऐसे दस्तावेज मिले, जो इनकी पोल खोल रहे थे। आरोपी दिलावर खान असल में बांग्लादेश के मुंशीगंज जिले के मुख्तारपुर गांव का रहने वाला है। पूछताछ में तो उसने ये भी बताया कि वो भारत से बांग्लादेश के बीच चार बार आना-जाना भी कर चुका है। यानी पूरा का पूरा सिस्टम का दुरुपयोग हो रहा था!
आठवीं की फर्जी मार्कशीट और ‘दीदी’ का नंबर!
पुलिस की पूछताछ में दिलावर खान ने अपनी जन्मतिथि 15 अप्रैल 1975 बताई। जब पुलिस ने उससे जन्मतिथि से जुड़े दस्तावेज मांगे, तो उसने 2009 और 2010 की लिखी हुई आठवीं कक्षा की मार्कशीट दिखा दी। लेकिन जनाब, मार्कशीट में भी जन्मतिथि 15 अप्रैल 1975 लिखी थी! ये तो साफ-साफ फर्जीवाड़ा था। भला 2009-10 में कोई इतने साल का होकर आठवीं कैसे पास करेगा? 😂 उसके एयरटेल सिम वाले मोबाइल फोन की जब जांच हुई, तो उसमें एक ऐसा नंबर मिला, जो बांग्लादेश का था। और वो नंबर किसका था? उसकी बड़ी बहन का! मोबाइल में बांग्लादेश के कई और नंबर भी अलग-अलग नामों से सेव थे, जो इस बात की पुष्टि कर रहे थे कि इनके तार बांग्लादेश से जुड़े हुए थे।
‘अंडा ठेला’ बना फर्जीवाड़े का जरिया!
ये कहानी यहीं खत्म नहीं होती। दिलावर खान ने पुलिस को बताया कि वो करीब 15 साल पहले अकेले ही बांग्लादेश के बनगांव बॉर्डर के रास्ते भारत आया था। भारत आने के दो साल बाद उसने अपनी पत्नी परवीन बेगम और 1 साल की बेटी को भी भारत बुला लिया था। सबसे हैरतअंगेज बात तो ये है कि उसने अंडे का ठेला लगाकर ग्राहकों के माध्यम से ही अपने फर्जी पासपोर्ट और दूसरे दस्तावेज तैयार करवाए थे। यानी, अंडे का ठेला सिर्फ पेट भरने का जरिया नहीं था, बल्कि फर्जी पहचान बनाने का अड्डा भी बन गया था। पुलिस ने आरोपियों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 112, 318, 319 के साथ ही भारतीय पासपोर्ट अधिनियम 1967 की धारा 12 (बी) के तहत कार्रवाई की है। इस पूरे मामले ने एक बार फिर से विदेशी नागरिकों द्वारा फर्जी दस्तावेजों के जरिए भारत में अवैध रूप से रहने और अपनी पहचान छुपाने के गंभीर मुद्दे को उजागर किया है।